MEA: भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकता है. दोनों देशों के बीच बातचीत हमेशा द्विपक्षीय होगी, लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर भारत कभी समझौता नहीं करेगा. भारत सरकार की ओर से आतंकवादियों के जो नाम पाकिस्तान को दिए गए हैं, अगर वह उसे भारत को देने का काम करेगी तो दोनों देशों के बीच बातचीत संभव है. साथ ही जम्मू-कश्मीर पर कोई भी द्विपक्षीय चर्चा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करने पर होगी. गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात कही.
उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं करता है. आतंकवाद को लेकर भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति है और इस मामले में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करना जरूरी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ कह चुके हैं कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता है. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के विदेश दौरे पर कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद पर भारत के नजरिये से दुनिया को अवगत कराएगा. साथ ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की कलई खोलने का काम करेगा.
आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को है सोचने की जरूरत
आतंकवाद भारत ही नहीं दुनिया के लिए गंभीर चिंता का विषय है. ऐसे में पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्की को पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन बंद करने और दशकों से अपने यहां मौजूद आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करनी चाहिए. संबंध एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बनते हैं. वहीं चीन के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बात की थी.
इस बातचीत में पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख से अवगत कराया था. चीनी पक्ष इस बात से अवगत है कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता भारत-चीन संबंधों का आधार है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकियों को निशाना बनाया गया और फिर पाकिस्तान के डीजीएमओ को इसकी जानकारी दी गयी.