Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर’ पर आपत्तिजनक पोस्ट, प्रोफेसर महमूदाबाद को मिली जमानत, भारत-पाक पर पोस्ट लिखने पर रोक
Operation Sindoor: सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद को रिहा करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने महमूदाबाद को जमानत बांड प्रस्तुत करने की शर्त पर अंतरिम जमानत दी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वह दोनों पोस्ट से संबंधित कोई भी ऑनलाइन लेख नहीं लिखेंगे या कोई भी ऑनलाइन भाषण नहीं देंगे जो जांच का विषय है.
Supreme Court orders release of Ali Khan Mahmudabad, associate professor and head of the Political Science department at Ashoka University in Haryana, against his arrest over a social media post on Operation Sindoor. SC grants interim bail to Mahmudabad subject to furnishing of… pic.twitter.com/Ua9Kc6YyqU
— ANI (@ANI) May 21, 2025
24 घंटे के अंदर जांच के लिए SIT गठित करने का आदेश
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया कि वह मामले की जांच के लिए 24 घंटे के भीतर आईजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करें, जिसमें एसपी रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल हो.
महमूदाबाद के बयान कानून की नजर में ‘डॉग व्हिसलिंग’
सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर की ऑनलाइन पोस्ट की जांच-पड़ताल करने वाली पीठ ने उनके शब्दों के चयन पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनका इस्तेमाल जानबूझकर दूसरों को अपमानित करने या उन्हें असहज करने के लिए किया गया था. पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि हालांकि सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन महमूदाबाद के बयानों को कानून की नजर में ‘डॉग व्हिसलिंग’ (किसी का समर्थन पाने के लिए गुप्त संदेश वाली) भाषा कहा जाता है.
कोर्ट ने प्रोफेसर को भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर पोस्ट लिखने से रोका
सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर के हाल के भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर कोई और ऑनलाइन पोस्ट लिखने पर रोक लगा दी और उनसे एसआईटी जांच में सहयोग करने को कहा. सोनीपत की एक अदालत ने मंगलवार को महमूदाबाद को 27 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.