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अल्लाह के बाद पाकिस्तान को किस पर सबसे ज्यादा भरोसा? जवाब जान हो जाएंगे हैरान!


Who does Pakistan Trust After Allah: पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता और इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने हाल ही में चीन की सरकारी मीडिया चैनल CGTN को दिए इंटरव्यू में ऐसी बात कह दी, जिससे चीन को झटका लगा है. भारत के साथ संघर्ष के बाद दिए इस बयान में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना को अल्लाह के बाद केवल अपनी ताकत और संकल्प पर भरोसा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी पाकिस्तान की प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है.

इस बयान को लेकर माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने अप्रत्यक्ष रूप से चीन की मदद को दरकिनार करते हुए एहसान फरामोशी दिखाई है. जबकि हकीकत यह है कि भारत के साथ हुए सैन्य संघर्ष में पाकिस्तान ने चीन और तुर्की के हथियारों का जमकर इस्तेमाल किया था. बावजूद इसके, पाकिस्तानी सेना ने इंटरव्यू में न तो चीन का नाम लिया और न ही उसकी किसी मदद का जिक्र किया.

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CGTN को दिए इंटरव्यू में लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा, “हम अल्लाह के बाद केवल अपनी ताकत और संकल्प पर विश्वास करते हैं. जब तक हम पूरी प्रतिबद्धता और दृढ़ निश्चय दिखाएंगे, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी अपनी भूमिका निभाएगा.” उन्होंने यह भी कहा कि आज की दुनिया जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और फेक न्यूज जैसी समस्याओं से जूझ रही है. इसी दौरान उन्होंने भारत पर झूठे आरोप लगाने का आरोप भी मढ़ा, जबकि पाकिस्तान खुद दुनिया को गुमराह करने के लिए झूठे बयान देता रहा है.

भारत और पाकिस्तान के बीच हुई हालिया सैन्य झड़पों में पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि उसके 53 नागरिक मारे गए, जिनमें 13 सैनिक और 40 आम नागरिक शामिल हैं. हालांकि, पाकिस्तान ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इन झड़पों में कितने आतंकवादियों की मौत हुई. भारत ने यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे. भारत का दावा है कि यह हमला पाकिस्तान प्रायोजित था. जवाबी कार्रवाई में भारत ने आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया.

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इंटरव्यू के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने पाकिस्तानी सेना की वीरता और बलिदान को ऊंचा दिखाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सैनिक कभी झुकते नहीं और मातृभूमि के लिए शहादत देना सबसे बड़ा सम्मान है. हालांकि, उन्होंने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण की ऐतिहासिक घटना को नजरअंदाज कर दिया, जो पाकिस्तान के सैन्य इतिहास का सबसे बड़ा शर्मनाक पल था. इस बयानबाजी से पाकिस्तान की दोहरी नीति और चीन के साथ रिश्तों की असलियत भी सामने आ गई है.

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