India Tension: भारत द्वारा हाल ही में किए गए आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की स्थिति असहज हो गई है. भारत से लगातार पराजय का सामना करने के बाद अब पाकिस्तान एक बार फिर अपने पुराने और भरोसेमंद सहयोगी चीन की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है. चीन ने हालांकि भारत के खिलाफ सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन अब वह एक ऐसा कदम उठाने जा रहा है जिससे भारत की चिंता जरूर बढ़ सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन और पाकिस्तान के बीच जे-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स की डील फाइनल हो चुकी है. इस सौदे के तहत चीन पाकिस्तान को कुल 40 जे-35 फाइटर जेट्स देने जा रहा है, जिनकी डिलिवरी प्रक्रिया को अब तेज किया जा रहा है. पाकिस्तान को पहला सेट इस साल के अंत तक मिल सकता है. पाकिस्तान के रिटायर्ड एयर कोमोडोर जियाउल हक शम्सी का दावा है कि इन विमानों की वजह से पाकिस्तान की वायुसेना भारत से तकनीकी रूप से करीब 12 साल आगे निकल जाएगी.
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हालांकि इस प्रकार के दावे न केवल भ्रामक हैं, बल्कि भारत की वर्तमान रक्षा क्षमताओं को नजरअंदाज करने वाले भी हैं. भारत सरकार पहले ही तीनों सेनाओं को 40 हजार करोड़ रुपये की आपातकालीन रक्षा खरीद की मंजूरी दे चुकी है. इसके तहत सेनाएं आधुनिक हथियारों, मिसाइलों और प्रिसिजन गाइडेड बम जैसे स्पाइस-2000 और स्कैल्प की तेजी से खरीद कर सकती हैं. प्रत्येक अनुबंध की सीमा 300 करोड़ रुपये होगी और खरीद प्रक्रिया को 40 दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही, डिलिवरी एक साल के अंदर करनी होगी.
भारत की वायुसेना अब विश्व की अग्रणी वायु सेनाओं में से एक है. इसमें अत्याधुनिक राफेल, सुखोई-30 एमकेआई जैसे विमान शामिल हैं. वहीं, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) स्वदेशी स्टील्थ फाइटर प्रोजेक्ट ‘AMCA’ पर भी कार्य कर रहा है, जो आने वाले वर्षों में भारत की वायु शक्ति को और मजबूत बनाएगा.
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जहां तक जे-35 की बात है, यह चीन की शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा निर्मित पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है, जिसे मुख्य रूप से निर्यात के लिए तैयार किया गया है. पाकिस्तान ने अपने पायलटों को चीन भेजा है ताकि वे इन विमानों की उड़ान और संचालन में प्रशिक्षित हो सकें. इससे पहले भी पाकिस्तान ने चीन से मिले जे-10 फाइटर जेट और मिसाइलों का भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया है. हालांकि, चीन और पाकिस्तान की यह रणनीतिक साझेदारी भारत को डगमगाने वाली नहीं है. भारत की रक्षा नीतियां अब कहीं अधिक आक्रामक और आत्मनिर्भर हो चुकी हैं. ऐसे में पाकिस्तान और चीन की यह संयुक्त चाल भारत की सुरक्षा तैयारियों के सामने ज्यादा असर नहीं डाल पाएगी.
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