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शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक में भावी रणनीति पर किया गया विचार


Defense: पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव को देखते हुए सीजफायर पर सहमति बन गयी है. लेकिन भारत अभी भी पूरी तरह से सतर्क है. पाकिस्तान पूर्व में भी अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने पर समझौते की पेशकश कर चुका है और हर बार वादाखिलाफी करने से पीछे नहीं हटा है. पहली बार भारत ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने का निर्णय लिया है. भले ही पाकिस्तान की गुहार के बाद ऑपरेशन सिंदूर को रोक दिया गया है, लेकिन यह निर्णय अस्थायी है. भारत सरकार पूर्व के अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार पाकिस्तान को कोई रियायत देने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में भारत में शीर्ष स्तर पर बैठकों का दौर जारी है.
 

मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने सीमा पर मौजूदा स्थिति को लेकर चर्चा की. इस बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एपी सिंह के अलावा रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. जानकारों का कहना है कि बैठक में पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा पर मौजूदा सुरक्षा स्थिति और अन्य मुद्दों पर चर्चा की गयी. 

पाकिस्तान की बात पर भारत को नहीं है भरोसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के नाम संबोधन में साफ कर दिया कि आतंकवाद से कोई समझौता नहीं होगा. वहीं मंगलवार को प्रधानमंत्री ने आदमपुर एयरबेस पर वायुसेना के अधिकारियों से मुलाकात कर पाकिस्तान के झूठे प्रोपेगेंडा की हवा निकाल दी. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान दबाव में आने पर दूसरे देशों से मदद की गुहार लगाता रहा है, लेकिन वह समय के साथ आतंकवादियों के समर्थन करने से पीछे नहीं हटता है. ऐसे में इस बार भारत ने पाकिस्तान पर भले ही सैन्य कार्रवाई को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है, लेकिन आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर चोट पहुंचाने की कार्रवाई को जारी रखेगा. 
इस मामले में सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के फैसले को बड़ा कदम माना जा रहा है.

साथ ही भारत की ओर से पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई के विकल्प को खुला रखकर साफ संदेश देने की कोशिश की गयी है कि अब हर हमले का माकूल जवाब दिया जायेगा. पाकिस्तान के प्रमुख एयरबेस को निशाना बनाने के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान का हर कोना भारतीय सेना के निशाने पर है. यही कारण है कि सरकार की ओर से सैन्य अधिकारियों के साथ लगातार बैठक की जा रही है.