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देशभक्ति की मिशाल है बिहार के शहीद इम्तियाज का परिवार, घर का भी नाम है ‘सीमा-प्रहरी’


भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की सहमति शनिवार को बनी लेकिन थोड़ी ही देर बाद पाकिस्तान ने सीमा पर फायरिंग शुरू कर दी. जम्मू में बॉर्डर पर तैनात बिहार के सारण निवासी मो. इम्तियाज इस गोलीबारी में शहीद हो गयी. BSF के सब-इंस्पेक्टर शहीद मो. इम्तियाज का पार्थिव शरीर सोमवार को उनके पैतृक गांव नारायणपुर पहुंचा. हजारों की भीड़ ने उन्हें अंतिम विदाई दी. शहीद का परिवार देश के लिए किस तरह समर्पित था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके घर का नाम भी ‘सीमा प्रहरी’ ही था.

छोटा भाई भी BSF में, पिता को गर्व

शहीद मोहम्मद इम्तियाज घर के सबसे बड़े बेटे थे. उनके पिता हबीब मियां ने ही उन्हें पूरे फक्र के साथ भारतीय सेना में जाने के लिए प्रेरित किया था. पिता की प्रेरणा से ही इम्तियाज देश की सेवा के लिए बीएसएफ में भर्ती हुए थे. शहीद इम्तियाज के एक और भाई मुस्तफा भी बीएसएफ में ही हैं.

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पिता ने कहा- दूसरा बेटा भी सीमा पर तैनात, एक के जाने का गम नहीं

शहीद के पिता ने कहा कि उन्हें इसका गम नहीं है कि एक बेटा चला गया, और भी बेटे सीमा पर तैनात हैं. शहीद इम्तियाज के सबसे छोटे भाई मोहम्मद असलम पढ़ाई के साथ प्राइवेट जॉब भी करते हैं. शहीद की पत्नी ने शहनाज अलीमा ने कहा कि पति की शहादत का दुख तो रहेगा, लेकिन गर्व है कि उनके जीवनसाथी ने देश के लिए बलिदान दिया. बता दें कि मो. इम्तियाज की पत्नी का हाल में ही ऑपरेशन हुआ है. बीमार पत्नी को शुरू में शहादत की जानकारी नहीं दी गयी थी.

ईद में आखिरी बार घर आए थे इम्तियाज

पाकिस्तान से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए इम्तियाज आखिरी बार ईद के मौके पर अपने घर आए थे. बड़े चाव से उन्होंने सबके साथ सेवइयां खायी थी. यह यात्रा उनके जीवन की आखिरी घर यात्रा बन गयी. किसी को यह अंदेशा नहीं था कि इम्तियाज तिरंगे में लिपटे हुए घर लौटेंगे.