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13 साल की गर्भवती नाबालिग को गर्भपात की अनुमति, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला


Abortion : गुजरात हाई कोर्ट ने 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को 33 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति दी है. इससे पहले विशेष पॉक्सो अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी. न्यायमूर्ति एन देसाई ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार गर्भपात संभव है, हालांकि लड़की के एनीमिया से पीड़ित होने के कारण इसमें जटिलता का खतरा अधिक है. पीड़िता राजकोट की रहने वाली है और उसके साथ पड़ोसी ने कई बार दुष्कर्म किया था, जब उसकी मां और सौतेले पिता काम पर बाहर जाते थे. कोर्ट के फैसले से उसे राहत मिली है.

तीन मई 2025 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. पीड़िता ने अवांछित गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए विशेष पॉक्सो अदालत में याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था. भारतीय कानून के अनुसार, गर्भ का चिकित्सीय समापन 20 सप्ताह के बाद सामान्यतः वर्जित है. हालांकि, कोर्ट कुछ विशेष परिस्थितियों में अनुमति दे सकता है, जैसे भ्रूण में गंभीर असामान्यता, मां के जीवन को खतरा या यौन उत्पीड़न की स्थिति…ऐसे मामलों में हाई कोर्ट का हस्तक्षेप पीड़िताओं को राहत देने में अहम भूमिका निभाता है.

हाई कोर्ट ने क्या कहा गर्भावस्था समाप्त करने को लेकर?

हाई कोर्ट ने कहा कि उसने इस तथ्य पर विचार किया है कि पीड़िता केवल 13 वर्ष की है और उसके सामने अभी लंबा जीवन है. कोर्ट ने कहा कि चूंकि एमटीपी (गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन) संभव है, इसलिए इसे उसके माता-पिता से लिखित सहमति प्राप्त करने के बाद ही किया जाना चाहिए, जिसमें यह बताया जाना चाहिए कि वे जोखिम को समझते हैं. राजकोट के पीडीयू अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और चिकित्सा अधीक्षक को यह सुनिश्चित करते हुए प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया कि सभी संभव देखभाल की जाए.