भारत और पाकिस्तान के बिगड़ते हालातों ने युद्ध की आहट देनी शुरू कर दी है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच चनाव चरम पर देखा जा रहा है। तनाव के कारण न केवल सुरक्षा संबंधी चिंताएं ताजा हुई है बल्कि पाकिस्तान के साथ पिछले युद्धों में हुए आर्थिक नुकसान की यादें भी ताजा हो गई है। भारत ने 1947 से 1999 तक पाकिस्तान के साथ चार युद्ध लड़े हैं। इन युद्धों के बाद भारत को तीन नुकसान झेलने पड़े हैं। जान-माल का नुकसान, रक्षा बजट में वृद्धि, महंगाई बढ़ना और जीडीपी का लॉस।
किसी भी देश में युद्ध के कारण जनता के कल्याण में लगने वाला पैसा युद्ध के कार्यों में खर्च होता है। इससे सभी प्रकार के विकास कार्य और जनकल्याण कारी योजनाएं बंद की जाती है या उसमें कटौती की जाती है। भारत जैसे विकासशील देश जोकि कृषि पर अधिक निर्भर है अगर युद्ध होता है तो जीडीपी में कमी होना स्वाभाविक है। जब-जब रक्षा व्यय में वृद्धि होती है, तब-तब आर्थिक विकास धीमा या स्थिर हो जाता है।
पिछले युद्धों से कितनी गिरी जीडीपी?
पिछले कुछ युद्धों के डेटा से पता चलता है कि जब भी भारत को अपने पड़ोसियों के साथ युद्ध में उलझा है, उसके आर्थिक विकास को झटका लगा है। 1965 के युद्ध के दौरान उस साल भारत की विकास दर 7.6 प्रतिशत गिरकर 2 प्रतिशत पर आ गई। 1971 के युद्ध में जीडीपी की गिरावट 1.19 प्रतिशत पर आ गई। 1984 में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत से गिरकर 2 प्रतिशत पर आ गई। 1999 एक अलग साल था जब जीडीपी 8.85 प्रतिशत हो गई। इसकी वजह भारत की आर्थिक गतिविधियां नहीं बल्कि वैश्विक रुझान थे। इस दौरान राजकोषीय घाटा 9 प्रतिशत को पार कर गया। पैटर्न बिल्कुल स्पष्ट है जब-जब युद्ध होता है रक्षा खर्च में वृद्धि होती है जबकि आर्थिक विस्तार धीमा हो जाता है।
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जानें कैसे प्रभावित होती है इकोनॉमी?
अर्थव्यवस्था के जानकारों की मानें तो अगर युद्ध छिड़ता है तो भारत के उद्योगों में उत्पादन घटेगा, क्योंकि बिजली में कटौती होगी। अगर उद्योगों में उत्पादन घटता है तो बाजार में उस वस्तु अनुपलब्धता होगी। उद्योग बंद होने से श्रमिकों को रोजगार नहीं मिलेगा। ऐसे में रोजगार का संकट भी पैदा होगा और बाजार में सामान नहीं पहुंचेगा तो महंगाई भी बढ़ेगी क्योंकि जरूरत का सामान कम होगा और खरीदार ज्यादा। भारत का पाकिस्तान के साथ संघर्ष लंबा नहीं चला ऐसे में ज्यादा नुकसान का अनुमान नहीं है। हालांकि कोविड के समय भी जो गिरावट अर्थव्यवस्था में देखी गई, उससे उबरने में भारतीय अर्थव्यवस्था को समय लगेगा।
बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला भारत ने 6 मई की रात को आतंक के ठिकानों को तबाह करके लिया। इसके बाद से ही पाकिस्तान लगातार भारत के सीमावर्ती राज्यों पर ड्रोन और मिसाइल से हमले कर रहा है। जबकि भारतीय सेना उसका मुंहतोड़ जवाब दे रही है।
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