Swamitva Yojna: भारत में भूमि संबंधी विवाद के कारण अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ी है. भूमि संबंधी विवाद को कम करने के लिए सरकार स्वामित्व योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत भूमि का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है ताकि भूमि पर स्वामित्व के अधिकार को लेकर विवाद की स्थिति पैदा नहीं हो. इस योजना का जमीनी स्तर पर असर भी दिख रहा है और अब वैश्विक स्तर पर स्वामित्व योजना की चर्चा हो रही है. भारत का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल 5- 8 मई तक अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में विश्व बैंक मुख्यालय में आयोजित होने वाले विश्व बैंक भूमि सम्मेलन 2025 में स्वामित्व योजना और ग्राम मानचित्र प्लेटफॉर्म प्रस्तुत करेगा.
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज के नेतृत्व में संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर, भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अपर महानिरीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा के साथ-साथ महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल भूमि शासन प्रणाली पर स्वामित्व (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत तकनीक से मानचित्रण) योजना को प्रस्तुत करेगा. इस वर्ष का विश्व बैंक भूमि सम्मेलन का विषय है ‘जलवायु कार्रवाई के लिए भूमि का स्वामित्व और पहुंच सुरक्षित करना: जागरूकता से कार्रवाई की ओर बढ़ना’. इसका मकसद वैश्विक नेताओं, नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों और विकास भागीदारों को भूमि का स्वामित्व सुरक्षित करने, सतत विकास और जलवायु-उत्तरदायी शासन के लिए भूमि प्रशासन को आधुनिक के उपायों को अपनाने और लागू करने पर होगा.
स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन और भू-स्थानिक तकनीक का उपयोग करके ग्रामीण संपत्तियों का कानूनी स्वामित्व प्रदान करती है. अब तक 1.6 लाख गांवों में 2.44 करोड़ से अधिक परिवारों को संपत्ति कार्ड जारी किए गए हैं, 10 करोड़ से अधिक संपत्ति भूखंडों का मानचित्रण किया गया है और अनुमानित 1.162 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 100 करोड़) भूमि मूल्य का विवरण दर्ज किया गया है.
स्वामित्व योजना की वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने में हो रहा कामयाब
भारत विश्व बैंक भूमि सम्मेलन 2025 में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इस सम्मेलन में स्वामित्व योजना को ड्रोन मैपिंग, उच्च सटीकता वाले भू-स्थानिक डेटा और जलवायु-अनुरूप योजना के लिए ग्राम मानचित्र जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से ग्रामीण सशक्तिकरण के एक परिवर्तनकारी मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा. कर प्रशासन, बुनियादी ढांचे और आपदा तैयारियों, स्वामित्व समावेशी, तकनीक-संचालित शासन का एक बेहतर मॉडल है. सम्मेलन के एजेंडे में उच्च-स्तरीय पूर्ण सत्र, क्षेत्रीय कार्यशालाएं, विषयगत आदान-प्रदान और एक नवाचार प्रदर्शनी शामिल होगी. सुरक्षित भूमि तक पहुंच में तेजी लाने, भूमि शासन प्रणालियों के आधुनिकीकरण और जलवायु-अनुरूप व्यवस्था को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है.
भूमि स्वामित्व में सुधारों को बढ़ाने, भू-स्थानिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने और जलवायु चुनौतियों का सामना करने के लिए लचीलापन बनाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं, परिचालन रणनीतियों पर शोध होगा. पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ‘भूमि पट्टे और शासन सुधार में अच्छी प्रथाएं और चुनौतियां’ पर पूर्ण सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे जिसमें गांवों में संपत्ति अधिकारों, महिला सशक्तिकरण और विवाद समाधान पर स्वामित्व योजना का प्रभाव, सतत विकास लक्ष्य, (भूमि पर सुरक्षित पट्टे के अधिकारों के साथ कुल वयस्क आबादी का अनुपात, कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त दस्तावेज के साथ और पट्टे के प्रकार के अनुसार भूमि पर अपने अधिकारों को सुरक्षित विषय पर चर्चा में शामिल होंगे.
पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर ‘जलवायु कार्रवाई और आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए भूमि फाउंडेशन की स्थापना’ पर एक तकनीकी सत्र का नेतृत्व करेंगे. इस सत्र में भारत के ग्राम मानचित्र प्लेटफॉर्म का भी प्रदर्शन किया जाएगा. भारत की विश्व बैंक भूमि सम्मेलन 2025 में भागीदारी वैश्विक ग्रामीण भूमि प्रशासन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इससे पहले मार्च 2025 में भारत ने 22 देशों के प्रतिनिधियों के साथ भूमि प्रशासन पर छह दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला की मेजबानी की थी, जिसमें देशों ने स्वामित्व में अपने डिजिटल मानचित्रण और भू-स्थानिक दृष्टिकोण के लिए गहरी रुचि दिखाई थी और कई देशों ने सहयोग करने की इच्छा भी व्यक्त की थी.