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बिल गेट्स किस खतरनाक बीमारी से पीड़ित हैं? बेटी ने खोला दर्दनाक राज



Bill Gates: दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है. करीब 10 हजार करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति के मालिक बिल गेट्स को लेकर उनकी बेटी फोबे गेट्स ने बताया है कि उनके पिता एस्परगर सिंड्रोम से पीड़ित हैं. यह जानकारी फोबे ने हाल ही में एक पॉडकास्ट के दौरान साझा की.

22 वर्षीय फोबे गेट्स, जो कि बिल और मेलिंडा गेट्स की सबसे छोटी बेटी हैं, ने ‘कॉल हर डैडी’ नामक पॉडकास्ट में होस्ट एलेक्स कूपर से बातचीत में अपने पिता के सामाजिक व्यवहार को लेकर चर्चा की. फोबे ने बताया कि जब उन्होंने अपने प्रेमी को पहली बार अपने पिता से मिलवाया, तो वह अनुभव थोड़ा डरावना था. फोबे के अनुसार, उनके पिता का सामाजिक व्यवहार पारंपरिक मानदंडों से काफी अलग है.

उन्होंने कहा, “मेरे पिता सामाजिक रूप से काफी अलग हैं, कभी-कभी तो अजीब भी लग सकते हैं. उन्होंने खुद भी यह कहा है कि उन्हें एस्परगर सिंड्रोम है. मेरे लिए यह अनुभव मजेदार था, लेकिन मेरे पार्टनर के लिए थोड़ा कठिन रहा.”

बिल गेट्स ने खुद दिए थे संकेत

इससे पहले फरवरी 2025 में भी 69 वर्षीय बिल गेट्स ने संकेत दिए थे कि उनका व्यवहार बचपन से ही थोड़ा अलग रहा है. उन्होंने यह स्वीकार किया था कि भले ही उन्होंने कभी किसी तरह का औपचारिक इलाज नहीं करवाया, लेकिन अगर वह आज के समय में बड़े हो रहे होते, तो संभवतः ऑटिज्म स्पेक्ट्रम के तहत उनका इलाज किया जाता.

बिल गेट्स ने यह भी बताया था कि उनके माता-पिता उन्हें बचपन में डॉक्टर के पास ले गए थे. वहां एक डॉक्टर ने एक साल से भी ज्यादा समय तक उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि उनका मानसिक स्वभाव कोई कमी नहीं बल्कि एक विशेषता भी हो सकती है.

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क्या होता है एस्परगर सिंड्रोम?

एस्परगर सिंड्रोम को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) का हिस्सा माना जाता है. यह एक प्रकार का न्यूरो-डिवेलपमेंटल विकार है, जो व्यक्ति की सामाजिक समझ, भावनात्मक अभिव्यक्ति और संप्रेषण (कम्युनिकेशन) की क्षमता को प्रभावित करता है.

इस सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति आमतौर पर दूसरों की भावनाओं को समझने में कठिनाई महसूस करता है. उन्हें सामाजिक संबंध बनाने, दूसरों की बातें समझने और अपनी बातों को सरलता से व्यक्त करने में भी संघर्ष करना पड़ता है. इसके अलावा, उनमें दोहराव वाले व्यवहार, सीमित रुचियां या किसी खास विषय को लेकर अत्यधिक जुनून भी देखा जा सकता है.

बुद्धिमत्ता के मामले में आगे होते हैं ऐसे लोग

एस्परगर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति अक्सर औसत से अधिक बौद्धिक क्षमता रखते हैं. उनकी याददाश्त तेज होती है, विश्लेषणात्मक सोच बेहतर होती है और कई बार किसी विशेष विषय में उनका ज्ञान असाधारण होता है. इसलिए विशेषज्ञ इस स्थिति को ‘हाई फंक्शनिंग ऑटिज्म’ भी कहते हैं.

ऐसे लोगों में भाषा की समझ और शब्दों के प्रयोग की क्षमता भी अच्छी हो सकती है, हालांकि सामाजिक संदर्भों को समझने में उन्हें परेशानी होती है.

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आजन्म रहने वाला विकार

एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आबादी का लगभग 0.5 प्रतिशत हिस्सा यानी करीब 3.7 करोड़ लोग एस्परगर सिंड्रोम से प्रभावित हो सकते हैं. शोध यह भी बताते हैं कि यह विकार लड़कों में लड़कियों की तुलना में 3 से 4 गुना अधिक होता है.

यह एक आजीवन स्थिति होती है, जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, हालांकि सही मार्गदर्शन, थेरेपी और सहायक वातावरण के जरिए इससे प्रभावित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां भी हासिल कर सकते हैं.

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