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किसकी है वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस? जानिए इन प्रीमियम ट्रेनों के मालिक के बारे में |Indian Railways



Indian Railways: भारतीय रेलवे ने बीते वर्षों में अपने संचालन और यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं. वंदे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस जैसी हाई-स्पीड और प्रीमियम ट्रेनें आज भारतीय यात्रियों की पहली पसंद बन चुकी हैं. लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है. क्या ये ट्रेनें निजी कंपनियों की हैं या सरकार की संपत्ति?

कौन है वंदे भारत का मालिक?

वंदे भारत एक्सप्रेस जिसे पहले ट्रेन 18 के नाम से जाना जाता था, पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और विकसित की गई है. इसका निर्माण चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में हुआ है. यह ट्रेन “मेक इन इंडिया” पहल का एक बेहतरीन उदाहरण है और इसका स्वामित्व पूर्ण रूप से भारतीय रेलवे के पास है. यह एक सरकारी ट्रेन है जिसे किसी निजी कंपनी द्वारा नहीं चलाया जा रहा है.

शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस की कब हुई थी शुरुआत

शताब्दी एक्सप्रेस की शुरुआत 1988 में और राजधानी एक्सप्रेस की शुरुआत 1969 में हुई थी. ये ट्रेनें भी पूरी तरह से भारतीय रेलवे द्वारा संचालित की जाती हैं. इनका उद्देश्य तेज़, आरामदायक और कम समय में यात्रा सेवा प्रदान करना है.

कई लोगों को लगता है कि इन ट्रेनों का संचालन किसी निजी कंपनी के हाथ में है लेकिन यह सिर्फ एक भ्रम है. वंदे भारत, शताब्दी और राजधानी ये सभी ट्रेनें भारत सरकार के अधीन भारतीय रेलवे की संपत्ति हैं. इनके टिकट बुकिंग से लेकर मेंटेनेंस और संचालन तक सभी कार्य रेलवे के ही विभिन्न विभागों द्वारा किए जाते हैं.

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