Caste Census: केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को जाति जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है. आज (30 मार्च) को कैबिनेट की बैठक केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला लिया. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी. इस फैसले के बाद कांग्रेस समेत कई दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सरकार के जातिगत गणना के फैसले पर राहुल गांधी ने बुधवार को एक पीसी के दौरान कहा इसके लिए बजट का आवंटन किया जाना चाहिए और तारीख की घोषणा की जानी चाहिए. उन्होंने केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अब तक सरकार जातिगत गणना का विरोध कर रही थी लेकिन अचानक इसे करने का फैसला किया. हम इस कदम का स्वागत करते हैं. इस दौरान उन्होंने आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा हटाने की मांग भी दोहराई. राहुल ने कहा कि हम इसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं लेकिन एक समय सीमा चाहते हैं कि यह कब तक किया जाएगा.
जयराम रमेश ने क्या कहा?
कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि बीते नौ अप्रैल को कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में पारित उस प्रस्ताव का हवाला दिया कि जिसमें जाति जनगणना की पैरवी करते हुए कहा गया था कि सामाजिक न्याय की बुनियाद को और सशक्त बनाने के लिए यह जरूरी है. जयराम रमेश ने कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन के प्रस्ताव के कुछ अंश शेयर करते हुए एक्स पर लिखा “सामाजिक न्याय को लेकर यह बात कांग्रेस के हालिया प्रस्ताव में कही गई थी, जो 9 अप्रैल 2025 को अहमदाबाद में पारित हुआ था. देर आए, दुरुस्त आए.”
यह ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत- विपक्ष
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने अगली जनगणना में जातिगत गणना कराए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलांयस की जीत करार देते हुए कहा कि सरकार विपक्षी दलों और जनता के दबाव में यह फैसला लेने को बाध्य हुई. इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार का फैसला इंडिया गठबंधन की जीत है क्योंकि विपक्ष के दबाव में आकर भाजपा यह निर्णय लेने को बाध्य हुई. अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट किया “जाति जनगणना का फैसला 90 प्रतिशत पीडीए की एकजुटता की 100 फीसदी जीत है. हम सबके सम्मिलित दबाव से भाजपा सरकार मजबूरन ये निर्णय लेने को बाध्य हुई है. सामाजिक न्याय की लड़ाई में ये पीडीए की जीत का एक अति महत्वपूर्ण चरण है.”
‘संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे’- लालू यादव
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा “मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत गणना कराने का फैसला लिया था, जिस पर बाद की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया.” उन्होंने कहा “देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वेक्षण भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ.” राजद प्रमुख ने कहा कि जिसे हम समाजवादी- जैसे आरक्षण, जातिगत गणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते हैं, उसका दूसरे लोग दशकों बाद अनुसरण करते हैं. जातिगत गणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला है. अभी बहुत कुछ बाकी है. हम इन संघियों को हमारे एजेंडे पर नचाते रहेंगे.”
आरजेडी ने मनाया जश्न
इधर, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत आरजेडी नेताओं ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से राष्ट्रीय जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने को मंजूरी दिए जाने पर जश्न मनाया.
ओवैसी ने क्या कहा?
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा “केंद्र आगामी जनगणना में जाति डेटा को शामिल करने पर सहमत हो गया है. इसकी तत्काल आवश्यकता थी और यह कई समूहों की लंबे समय से लंबित मांग थी. मैंने भी 2021 से यही मांग की है.” उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों की विभिन्न जातियों/समूहों सहित मुसलमानों के पिछड़ेपन पर उचित डेटा समय की मांग है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां जनगणना के आंकड़ों के अनुरूप होनी चाहिए और सबसे पिछड़े समुदायों को शिक्षा और रोजगार में उचित हिस्सा मिलना चाहिए. (भाषा इनपुट के साथ)