Waqf Board : दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में स्थित एक मजार को देहरादून प्रशासन और राजस्व विभाग ने शुक्रवार रात को ध्वस्त कर दिया. यह एक सप्ताह में उत्तराखंड में रात के समय ध्वस्त की गई दूसरी ऐसी संरचना है. देहरादून नगर निगम आयुक्त नमामि बंसल के अनुसार, मजार अस्पताल को आवंटित भूमि पर थी. सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर शिकायत प्राप्त हुई थी. यह घटना उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में सैयद मासूम शाह मियां की दशकों पुरानी मजार को एनएचएआई द्वारा सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत सरकार द्वारा ध्वस्त किए जाने के कुछ दिनों बाद हुई है.
उन्होंने कहा, “दून मेडिकल कॉलेज ने भी इस संरचना के अस्तित्व को चिन्हित किया था. शुक्रवार को प्रशासन ने खुदाई करने वाली मशीनें मांगी और हमने उन्हें उपलब्ध करा दिया. राजस्व विभाग ने अभियान चलाया.” इस सवाल का जवाब बंसल ने नहीं दिया कि अभियान देर रात क्यों चलाया गया. चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ. रवींद्र बिष्ट ने बताया कि मजार के बारे में शिकायत चार महीने पहले एक निवासी ने की थी. इसके बाद जिला प्रशासन ने राजस्व विभाग, मेडिकल कॉलेज अधिकारियों, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के साथ मिलकर जांच शुरू की.
दून अस्पताल स्थित यह मज़ार काफी प्रसिद्ध थी। अलग अलग तरह की मान्यता थी। ऋषिकेश के एक स्थानीय ने सीएम पोर्टल पर इसकी शिकायत की तो जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए। कागज़ नही मिले। बीती रात अवैध मज़ार ढा दी गई। सुबह आते जाते लोगों ने सर झुकाया तो देखा मज़ार ही नहीं है। #Dehradun pic.twitter.com/CJw7Uc9ZKg
— Ankit Sharma (@ankitsharmauk) April 26, 2025
केयरटेकर ने नोटिस का जवाब नहीं दिया
बिष्ट ने कहा, “प्रशासन ने हमसे मजार के दस्तावेज मांगे थे, लेकिन हमारे पास वे नहीं थे. हमने उन्हें सूचित किया और चार दिन पहले भी मजार का निरीक्षण किया गया था. कल रात उन्होंने खुदाई करने वाली मशीनें भेजीं और मजार को ध्वस्त कर दिया.” अधिकारियों के अनुसार, केयरटेकर को नोटिस दिया गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया.
मजार को 21 और 22 अप्रैल की रात को गिरा दिया गया था
बताया जा रहा है कि 750 बिस्तरों वाला यह अस्पताल एक बड़े परिसर में स्थित है. स्थानीय लोगों ने बताया कि मरीज अक्सर मजार पर आते थे. सैयद मासूम शाह मियां की मजार को 21 और 22 अप्रैल की रात को गिरा दिया गया था. यह मामला फिलहाल हाई कोर्ट में है, जहां मजार प्रबंधन ने मांग की है कि मिट्टी को मुतवल्ली के घर ले जाया जाए और दरगाह को स्थानांतरित करने के लिए जमीन मुहैया कराई जाए. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मजार बोर्ड के पास वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज है.
सरकार नफरत फैलाने और लोगों को बांटने में लगी है : कांग्रेस
कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि अवैध अतिक्रमण हटाने के नाम पर सरकार नफरत फैलाने और लोगों को बांटने के लिए मदरसों और मजारों को निशाना बना रही है. धस्माना ने कहा, “अवैध मजार कई सालों से वक्फ बोर्ड द्वारा संचालित की जा रही थी. इसका जवाब वक्फ बोर्ड को देना चाहिए. उत्तराखंड से पहले उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड इसका संचालन करता था. मजार अवैध थी या वैध, इसका जवाब उन्हें ही देना चाहिए.”