Skill Development:तकनीक एवं स्टार्टअप से संबंधित अफ्रीका का सबसे बड़ा कार्यक्रम ‘गीटेक्स अफ्रीका 2025’ में भारत ने शिरकत की, जिसमें बताया गया कि भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) ने खासकर डिजिटल पहचान (आधार), डिजिटल भुगतान (यूपीआई), ई-कॉमर्स (ओएनडीसी) और स्वास्थ्य सेवा के विकास के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तनकारी बदलाव किए हैं. भारत अपने कौशल से जुड़े इकोसिस्टम में उन्नत तकनीकों- एआई, साइबर सुरक्षा, फिनटेक और डिजिटल अवसंरचना को तेजी से एकीकृत कर रहे हैं. स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच), जोकि कौशल से जुड़े इकोसिस्टम के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना है. इसने डेढ़ वर्ष में एक करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं को जोड़ा है.
ये ऐसे क्षेत्र हैं, जो हमारे अफ्रीकी भागीदारों के साथ सहयोग की संभावनाओं से भरपूर हैं और हम निरंतर साझेदारी के जरिए सामूहिक रूप से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित कर सकते हैं. यह कार्यक्रम नीति निर्माताओं, परिवर्तनकर्ताओं और दूरदर्शी लोगों को सामूहिक रूप से चर्चा एवं सहयोग करने तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के समावेशी व न्यायसंगत विकास की अनिवार्यता को आगे बढ़ाने के अवसरों पर विचार-विमर्श करने का एक मंच प्रदान करता है. तीन-दिवसीय यह कार्यक्रम मोरक्को की राजधानी मारकेश में संपन्न हुआ.
विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज है भारत का डिजिटलीकरण
कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी ने इस शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया.उन्होंने कहा, “भारत, जहां डिजिटलीकरण की गति कुछ अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज है, स्थापित ओपन-सोर्स डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना प्रणाली के साथ सहयोग और ज्ञान के साझाकरण के जरिए ऐसे प्रणाली विकसित करने के इच्छुक अन्य विकासशील देशों में डिजिटलीकरण की गति को उत्प्रेरित करने की क्षमता रखता है.” इसके अलावा, भारत एआई से जुड़े पेशेवरों के लिए एक प्रमुख संसाधन प्रतिभा केन्द्र है और एआई स्टैनफोर्ड इंडेक्स 2025, जो एआई को अपनाने हेतु एक वातावरण का विकास करने में सरकार और उद्योग जगत के प्रयासों का एक स्पष्ट संकेतक है.
एआई से जुड़ी प्रतिभाओं की भर्ती में वर्ष- दर-वर्ष के आधार पर 33.39 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अग्रणी है. जयंत चौधरी ने एआई, अनुसंधान और क्षमता में तालमेल की खोज पर व्यापक रूप से चर्चा की. उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि कैसे डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना समावेशन, नवाचार एवं न्यायसंगत विकास के लिए उत्प्रेरक साबित हो सकती है.