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यूपी-बिहार के छात्रों को नहीं मिलेगा वीजा, जानें क्यों?



Visa Ban: ऑस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा का सपना देख रहे भारत के हजारों छात्रों को बड़ा झटका लगा है. ऑस्ट्रेलिया की कई यूनिवर्सिटीज ने भारत के पांच राज्यों , उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और गुजरात के छात्रों के स्टूडेंट वीजा पर रोक लगा दी है या उस पर कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए हैं. यह कदम वीजा दुरुपयोग और फर्जी डॉक्युमेंट्स जमा करने के मामलों के मद्देनजर उठाया गया है.

इन छात्रों पर आरोप है कि वे ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई के नाम पर वीजा लेकर प्रवेश करते हैं, लेकिन वहां जाकर फुल टाइम जॉब करने लगते हैं और अध्ययन को नजरअंदाज कर देते हैं. कई छात्र ऐसे भी पाए गए हैं जो वोकेशनल कोर्सेज में नामांकन करवाकर वास्तविक रूप से काम करने के इरादे से वहां जाते हैं. इससे ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटीज की साख पर असर पड़ा है और उनकी वित्तीय स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

वीजा प्रतिबंध के पीछे की वजहें

ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी, एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ वोलोंगोंग और टॉरेन्स यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाओं ने इन राज्यों से आने वाले छात्रों के आवेदन या तो अस्थायी रूप से बंद कर दिए हैं या बहुत सख्त मापदंड लागू कर दिए हैं. इससे पहले भी फरवरी 2023 में एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी ने पंजाब और हरियाणा के छात्रों के लिए वीजा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था.

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विश्वविद्यालयों का कहना है कि वे केवल उन्हीं छात्रों को वीजा देना चाहते हैं जो वास्तव में पढ़ाई के उद्देश्य से आते हैं, न कि केवल रोजगार की तलाश में. कई मामलों में छात्रों द्वारा फर्जी डॉक्युमेंट्स देने, एजेंट्स द्वारा ग़लत जानकारी देने और पढ़ाई छोड़कर केवल काम करने जैसे मामलों ने विश्वविद्यालयों की विश्वसनीयता को खतरे में डाल दिया है.

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने खुद को इससे अलग किया

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध उनके द्वारा नहीं लगाया गया है, बल्कि विश्वविद्यालय अपने-अपने स्तर पर यह निर्णय ले रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल ने भी पहले छात्रों को चेतावनी दी थी कि वे फर्जी या भ्रामक दस्तावेजों का सहारा न लें और माइग्रेशन एजेंट्स की गुमराह करने वाली बातों में न आएं. सरकार का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन को अपने रिस्क मैनेजमेंट और इंटरनल पॉलिसीज़ के तहत यह अधिकार प्राप्त है कि वे किन छात्रों को दाखिला दें और किन्हें न दें.

विद्यार्थियों और विशेषज्ञों की चिंता

यह फैसला उन भारतीय छात्रों के लिए बड़ा झटका है जो अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में वीजा प्रतिबंधों और रिजेक्शन रेट्स बढ़ने के कारण ऑस्ट्रेलिया को एक बेहतर विकल्प मान रहे थे. हाल ही में अमेरिका में भारतीय छात्रों का वीजा रिजेक्शन रेट 24 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है. कनाडा में भी इसी तरह के हालात बने हुए हैं, जिससे भारतीय छात्र तेजी से ऑस्ट्रेलिया की ओर रुख कर रहे थे.

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एसोसिएशन ऑफ ऑस्ट्रेलियन एजुकेशन रिप्रेजेंटेटिव्स इन इंडिया (AAERI) ने ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के इस कदम की आलोचना की है. उनका कहना है कि अगर वीजा फ्रॉड के मामले हैं तो उनकी जांच व्यक्तिगत आधार पर होनी चाहिए, न कि पूरे राज्य या समुदाय के छात्रों को एक साथ सज़ा दी जानी चाहिए.

पूर्व राजनयिक ने भी जताई नाराजगी

पूर्व भारतीय राजनयिक दीपक वोहरा ने भी इस फैसले पर असंतोष जताया है. उन्होंने कहा कि यह ऑस्ट्रेलिया की एकतरफा और गलत नीति है, जिससे उन ईमानदार छात्रों और पेशेवरों की भी छवि खराब हो रही है, जिन्होंने वर्षों की मेहनत से वहां अपनी पहचान बनाई है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में 40 मिलियन से अधिक छात्र हैं और 60,000 से अधिक कॉलेज हैं. ऐसे में हर छात्र का मकसद केवल बाहर जाकर बसना नहीं होता, बल्कि कई छात्र केवल क्वालिटी एजुकेशन और बेहतर करियर के लिए बाहर जाते हैं.

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ऑस्ट्रेलिया के इस कदम ने भारतीय छात्रों में चिंता की लहर पैदा कर दी है. हालांकि यह फैसला विश्वविद्यालयों का है, लेकिन इसका असर पूरी भारतीय छात्र कम्युनिटी पर पड़ रहा है. अब यह देखना होगा कि क्या भारत सरकार इस मुद्दे पर कोई पहल करती है या फिर विश्वविद्यालय स्तर पर ही इसका समाधान खोजा जाएगा. यदि आप भी ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई का विचार कर रहे हैं, तो यह ज़रूरी है कि आप सभी दस्तावेज़ सही तरीके से तैयार करें, किसी अनजान एजेंट पर भरोसा न करें और केवल मान्यता प्राप्त माध्यमों से ही आवेदन करें.