Waqf Amendment Act: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. सरकार ने कोर्ट से एक जवाब देने के लिए समय की मांग की थी. कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार के जवाब तक स्थास्थिति बरकरार रहेगी. वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता के खिलाफ 72 याचिकाओं से संबंधित सुनवाई सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष हुई.
वक्फ परिषद और बोर्ड में फिलहाल कोई नियुक्ति नहीं होगी
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं पर लगातार दूसरे दिन सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के इस बयान को रिकॉर्ड में लिया कि केंद्र सात दिनों के भीतर जवाब देगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई की तारीख तक, वक्फ, जिसमें पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ-बाय-यूजर शामिल है, को न तो डीनोटिफाई किया जाएगा और न ही कलेक्टर को बदला जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करना चाहिए.
दूसरे दिन सुनवाई की प्रमुख बातें
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 5 मई की तारीख तय की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वक्फ मामले में इतनी सारी याचिकाओं पर विचार करना असंभव, केवल पांच पर ही सुनवाई होगी.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह अगली सुनवाई तक ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ को गैर-अधिसूचित नहीं करेगा.
सीजेआई ने कहा कि यदि किसी वक्फ संपत्ति का पंजीकरण 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है तो उन संपत्तियों को नहीं छेड़ा जा सकता.
केंद्र के समय मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विवादास्पद वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया, जिसमें अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने और केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की शक्ति शामिल है. कोर्ट ने आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा, जिसका केंद्र ने विरोध किया और उसने ऐसे किसी भी अंतरिम आदेश से पहले विस्तृत सुनवाई की अपील की.
कोर्ट ने परिषदों और बोर्ड में गैर मुस्लिमों को शामिल करने पर जताई नाराजगी
बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर नाराजगी जताई और केंद्र से पूछा कि क्या वह हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है.
कोर्ट ने संशोधित कानून के एक प्रावधान पर रोक लगाने का दिया संकेत
पीठ ने संशोधित कानून के एक प्रावधान पर रोक लगाने का भी संकेत दिया, जिसमें कहा गया है कि कलेक्टर द्वारा यह जांच किए जाने तक कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा. पीठ ने अधिनियम को लेकर प्रावधान-वार आपत्तियों पर गौर किया और केंद्रीय वक्फ परिषद तथा राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने सहित कानून के कई पहलुओं पर आपत्तियां व्यक्त कीं
वक्फ के मामले में हो सकता है अपवाद : कोर्ट
सीजेआई ने कहा, “आमतौर पर, जब कोई कानून पारित होता है तो अदालतें प्रवेश स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करती हैं, लेकिन इस मामले में अपवाद की आवश्यकता हो सकती है. यदि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्ति को गैर-अधिसूचित किया जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.”
पीठ और सॉलिसिटर जनरल के बीच हुई तीखी नोकझोंक
सुनवाई के दौरान बुधवार को पीठ और सॉलिसिटर जनरल के बीच तब तीखी नोकझोंक हुई जब न्यायाधीशों ने वक्फ प्रशासन में गैर-मुस्लिमों को अनुमति देने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया, जबकि हिंदू धार्मिक संस्थाओं पर समान पारस्परिकता लागू नहीं होती.