मौजूदा समय में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. नदियों में प्रदूषण का असर लाखों लोगों के जीवन पर हो रहा है. लाखों लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा के तहत नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने का काम हो रहा है. बुधवार को नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा के 61वें एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में गंगा नदी के संरक्षण के लिए कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी. इसके तहत नदियों की स्वच्छता, सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने और गंगा के पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत को बचाने में मदद मिलेगी.
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की मंजूरी
कमेटी ने 900 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले कई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को मंजूरी दी है. जिसके तहत उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में रामगंगा नदी में प्रदूषण को कम करने के लिए 409 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट का निर्माण किया जायेगा. इसके तहत जोन-3 में 15 मेगा लीटर प्रतिदिन और जोन-4 में 65 मेगा लीटर प्रतिदिन के क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का गठन होगा. इसके अलावा 5 प्रमुख नालों के रूट बदलने का काम भी होगा. बैठक में डीडीए बायोडायवर्सिटी पार्क एंव नॉलेज स्किल डेवलपमेंट सेंटर के गठन पर सहमति बनी जिसके लिए जल शक्ति मंत्रालय सहयोग देगा. इसपर 8.64 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
बिहार के आरा में बनेगा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
बिहार के आरा में 328.29 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज प्लांट का निर्माण किया जायेगा. इसके तहत 47 मेगा लीटर प्रतिदिन की क्षमता के सीवेज का ट्रीटमेंट होगा. इसके अलावा 19.5 किलोमीटर सीवेज नेटवर्क का निर्माण किया जायेगा. यह योजना हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर आधारित होगा और 15 साल इसके रखरखाव की जिम्मेदारी कंपनी की होगी. इस फैसले से आरा शहर में सीवरेज की समस्या दूर करने के साथ ही गंगा में प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिलेगी. कमेटी की बैठक में पश्चिम बंगाल के पुजाली नगर पालिका में मल मूत्र ट्रीटमेंट प्लांट के गठन का फैसला लिया गया.
यमुना को पुनर्जीवित करने का निर्णय
दिल्ली में यमुना नदी को पुनर्जीवित करने का भी निर्णय लिया गया. इसके तहत शाहदरा नाले की सफाई के लिए एडवांस माइट यूटिलाइजिंग सिस्टम स्वाईल बेस्ड ट्रीटमेंट को मंजूरी दी गयी. इसके तहत नाले में मौजूद जहरीले रसायनों को दूर करने का काम किया जायेगा. इसकी क्षमता 5 मेगा लीटर प्रतिदिन की होगी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी इस सिस्टम की सिफारिश की थी. आईआईटी दिल्ली में डच सरकार की मदद से इंटेलीजेंट रिवर सिस्टम क्लीन यमुना का गठन किया जायेगा. इसके तहत गठित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सेंटर में शहरी नदी की सफाई और प्राकृतिक आधार से साफ करने के तरीकों पर भी अध्ययन किया जायेगा.