Rave Party: पंजाब प्रांत के कसूर जिले से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे देश की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पाकिस्तान के लाहौर डिविजन के अंतर्गत आने वाले इस जिले में एक हाई प्रोफाइल रेव पार्टी चल रही थी, जिस पर स्थानीय पुलिस ने छापा मारा. इस रेड के दौरान पुलिस को ऐसे चेहरे दिखे, जिनकी कल्पना शायद किसी ने नहीं की थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छापे के दौरान पुलिस ने लगभग 55 युवक-युवतियों को हिरासत में लिया था. इनमें कई सेना के उच्च अधिकारियों, सुरक्षा एजेंसियों और सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं के बेटे-बेटियां शामिल थे. पुलिस ने पार्टी स्थल से भारी मात्रा में मादक पदार्थ भी जब्त किए. इतना ही नहीं, छापे के दौरान पुलिस ने मौके का एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया जिसमें शराब, ड्रग्स और नशे की हालत में डांस करते युवा स्पष्ट रूप से नजर आ रहे थे.
हालांकि, मामला कुछ ही घंटों में पलट गया. छापा मारने वाली टीम के SHO साकलेन खान समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया. आधिकारिक बयान में कहा गया कि SHO ने बिना उच्च अधिकारियों की अनुमति के वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे सार्वजनिक किया, जो नियमों का उल्लंघन है.
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही थाने में हलचल मच गई. बताया जा रहा है कि जैसे ही पार्टी में पकड़े गए प्रभावशाली परिवारों के नाम बाहर आने लगे, थाने में सिफारिशों और दबाव का सिलसिला शुरू हो गया. कई वरिष्ठ सैन्य और राजनीतिक अधिकारियों के फोन लगातार पुलिस अधिकारियों के पास आने लगे. हालात ऐसे बने कि DPO ईसा खान को खुद मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा.
ڈسٹرکٹ پولیس آفیسر قصور نے ڈانس پارٹی میں نشے میں دھت گرفتار 30 مرد اور 25 خواتین کی وڈیو سوشل میڈیا پر وائرل کرنے کے عمل کو غیر قانونی اور خلافِ ضابطہ قرار دیتے ہوئے ذمہ دار پولیس کو معطل کر دیا https://t.co/T68iDXSp8B #Kasur #SocialMediaVirel #PoliceteamSuspended pic.twitter.com/ZHiShjY6z8
— Sahafi.Online (@SOnlinepak) April 7, 2025
अब पुलिस का नया बयान आया है, जिसमें कहा गया है कि यह रेड “एक गलतफहमी” पर आधारित थी और हिरासत में लिए गए युवक-युवतियां निर्दोष थे. अदालत में भी सबूतों के अभाव में सभी को रिहा कर दिया गया. यह पूरा मामला अब पाकिस्तान में शासन और न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर एक बार फिर बहस का विषय बन गया है. जहां एक ओर जनता सवाल उठा रही है कि क्या कानून सभी के लिए बराबर है, वहीं दूसरी ओर पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर भी गंभीर चिंता जताई जा रही है.
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