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क्या थी रतन टाटा की आखिरी ख्वाहिश? जानें वसीयत में किन्हें सौंपी गई इच्छा पूरी करने की जिम्मेदारी


Ratan Tata Last Wishes Update: दुनियाभर में मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा का गत 9 अक्टूबर को निधन हो गया था। 10 अक्टूबर को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अगले दिन 11 अक्टूबर को उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट का अध्यक्ष बना दिया गया। वहीं रतन टाटा की वसीयत परिवार को मिली है, जिसमें उन्होंने अपनी आखिरी ख्वाहिश लिखी है।

हालांकि उनकी एक आखिरी ख्वाहिश यह थी कि उन्हें दुनिया उस शख्स के रूप में याद करे, जो बदलाव लेकर आया। न इससे ज्यादा और न ही इससे कम उन्हें कुछ चाहिए, लेकिन अपनी वसीयत में उन्होंने अपनी कुछ और ख्वाहिशों का जिक्र किया और इन ख्वाहिशों को पूरा करने की जिम्मेदारी कुछ लोगों को सौंपी गई है। इन लोगों को रतन टाटा की उस संपत्ति को मैनेज का अधिकार है, जो वसीयत में आवंटित नहीं की गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों में रतन टाटा के अपने भाई जिम्मी टाटा और सौतेले भाई नोएल टाटा शामिल नहीं हैं।

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रतन टाटा धर्मार्थ कार्यों के लिए देते थे दान

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रतन टाटा ने अपनी वसीयत को एग्जीक्यूट करने की जिम्मेदारी वकील डेरियस खंबाटा और लंबे समय से उनकी सहयोगी रही मेहली मिस्त्री, अपनी सौतेली बहनों शिरीन और डीनना जेजीभॉय को सौंपी है। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2024 के अनुसार, निधन के समय रतन टाटा के पास टाटा संस की 0.83% हिस्सेदारी थी। उनकी कुल अनुमानित आय 7900 करोड़ रुपये थी। वह अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा धर्मार्थ कार्यों के लिए दान करने के लिए प्रतिबद्ध थे। उनकी संपत्ति का लगभग 75% टाटा संस में उनके शेयरों से जुड़ा था। इन होल्डिंग्स के अलावा उन्होंने ओला, पेटीएम, फर्स्टक्राई, ब्लूस्टोन और अर्बन कंपनी सहित विभिन्न कंपनियों में निवेश किया है।

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वसीयत के एग्जीक्यूटर्स के बारे में जानिए

बता दें कि रतन टाटा के करीबी विश्वासपात्र मेहली मिस्त्री सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट दोनों के ट्रस्टी के रूप में काम करते हैं, जिनके पास टाटा संस का लगभग 52% हिस्सा है। कंपनियों में टाटा संस की हिस्सेदारी का कुल बाजार मूल्य 16.71 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है। रतन टाटा की सौतेली बहनें शिरीन और डीनना जेजीभॉय, सूनू टाटा की दूसरी शादी से सर जमशेदजी जेजीभॉय की बेटियां हैं।

दोनों बहनें समाज सेवा के कार्यों में रतन टाटा की सहयोगरी रही हैं। डीनना ने पहले 1990 और 2000 के दशक के दौरान रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में ट्रस्टी के रूप में काम किया था। रतन टाटा का अपने छोटे भाई-बहनों के साथ घनिष्ठ संबंध था। डेरियस खंबाटा ने रतन टाटा की वसीयत तैयार करने में उनकी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2016 में ट्रस्ट से इस्तीफा देने के बाद वह पिछले साल ट्रस्टी के रूप में वापस आ गए थे।

क्या भूमिका निभाएंगी मेहली मिस्त्री?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चारों लोगों को रतन टाटा की उस प्रॉपर्टी को मैनेज करने का अधिकार मिला है, जो आवंटित नहीं की गई है। रतन टाटा ने RNT एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड में वित्त वर्ष 2023 तक 186 करोड़ रुपये का निवेश किया था। मेहली मिस्त्री और रतन टाटा RNT एसोसिएट्स के बोर्ड के मेंबर थे तो इससे जुड़ी सभी जिम्मेदारियां मेहली मिस्त्री निभाएंगी।

मेहली मिस्त्री को साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के विवादों के दौरान रतन टाटा के मजबूत समर्थक के रूप में भी जाना जाता है। हाल ही के वर्षों में वे रतन टाटा का स्वास्थ्य खराब होने पर उनकी देखभाल करने वालों में शामिल थीं। इसलिए वे रतन टाटा की काफी करीबी भी थीं। अक्टूबर 2022 में, मेली मिस्त्री को दोनों टाटा ट्रस्टों का मेंबर बनाया गया था। वे एम पलोनजी समूह की कई कंपनियों में डायरेक्टर भी हैं।

Current Version

Oct 18, 2024 12:24

Written By

Khushbu Goyal