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NIT कर्नाटक ने जंगलों में निगरानी के लिए विकसित की e-Bike, सौर ऊर्जा से होती है चार्ज

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-कर्नाटक (NIT-K), सुरथकल ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक ई-बाइक डिजाइन और विकसित की है, जो कि जंगलों में आने-जाने के लिए सही मायने में पर्यावरण के अनुकूल है। इस बाइक की एक अनूठी विशेषता यह है कि इसकी बैटरी को सौर ऊर्जा का उपयोग करके चार्ज किया जा सकता है और इसमें एक डिटैचेबल हेडलाइट लगाई गई है। इसका इस्तेमाल रात की निगरानी के दौरान उपयोग करने के लिए मशाल के तौर पर किया जा सकता है। संस्थान के सेंटर फॉर सिस्टम डिज़ाइन, ई-मोबिलिटी प्रोजेक्ट्स के प्रमुख, पृथ्वीराज यू. ने बताया कि “इसकी इलेक्ट्रिक मोटर आमतौर पर पूरी तरह से साइलेंट है।”
आगे उन्होंने कहा कि “यह जंगल में एक अतिरिक्त लाभ है क्योंकि वन्यजीवों को इससे कोई समस्या नहीं होगी और शिकारियों को भागने का मौका दिए बिना उन्हें पकड़ने में भी मदद मिलेगी। इसके फ्रंट यूटिलिटी बॉक्स का उपयोग वन अधिकारियों के सभी काम के सामान जैसे वॉकी-टॉकी, किताबें आदि रखने के लिए किया जा सकता है।” पृथ्वीराज यू. ने बताया कि “वॉकी-टॉकी और मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए चार्जिंग डॉक दिए गए हैं। रियर पैनियर बॉक्स का उपयोग अतिरिक्त एक्सेसरीज़ को स्टोर करने के लिए किया जा सकता है। गहरे वन क्षेत्रों में शिकार-विरोधी शिविरों या वॉच टावरों में पानी और भोजन ले जाने का भी प्रावधान है।”
पृथ्वीराज यू., जो जल संसाधन और महासागर इंजीनियरिंग विभाग, NIT-K में सहायक प्रोफेसर भी हैं, ने कहा कि “पार्क क्षेत्र का प्रबंधन करने वाले वन अधिकारियों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, बाइक को कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में उपयोग के लिए विकसित किया गया है।” उन्होंने कहा कि “एक बार फुल चार्ज होने पर यह e-Bike उबड़-खाबड़ इलाकों में 75 किमी तक की दूरी तय कर सकती है। इस e-Bike को विकसित करने में करीब तीन महीने का समय लगा है। इस परियोजना को दूसरे लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया था।”
जानकारी के अनुसार इस e-Bike का नाम ‘VidhYug 4.0′ रखा गया है, जिसमें बीएलडीसी इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमाल किया गया है। यह इलेक्ट्रिक मोटर 2.0 किलोवाट, 72 वोल्ट, 33 एएच लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित होती है। खास बात यह है कि इस e-Bike को सौर ऊर्जा से चार्ज किया जा सकता है। सौर चार्जिंग सेटअप में बैटरी चार्ज करने के लिए दो 400 वाट मोनो क्रिस्टलीय सौर पैनल और 1.5 किलोवाट यूपीएस यूनिट को शामिल करना होता है। 17 नवंबर को कुद्रेमुख में कुद्रेमुख वन्यजीव प्रभाग द्वारा आयोजित शोला वनों पर एक कार्यशाला के दौरान इस e-Bike का खुलासा किया जाएगा।