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इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल, इंटरनेट बंद, धारा 144 लागू, पाकिस्तान में इमरजेंसी जैसे हालात के पीछे क्या है कारण?


Pakistan mobile internet suspended section 144 imposed: पाकिस्तान में इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. देश में चारों तरफ जनता का प्रदर्शन, सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे हैं. इसी बीच कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान (TLP) द्वारा शुक्रवार को ‘लबैक या अक्सा मिलियन मार्च’ प्रदर्शन की घोषणा कर दी. इस स्थिति से निपटने के लिए पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं और राजधानी के प्रवेश और निकास मार्गों को सील कर दिया है. 

हालांकि यह निलंबन केवल इसी कारण को ध्यान में रखकर किया गया है, इसे लेकर कुछ विशेषज्ञों में संदेह है. पाकिस्तान ने गुरुवार-शुक्रवार की बीती रात को अफगानिस्तान में टीटीपी के लीडर नूर वली महसूद को निशाना बनाते हुए काबुल में एयर स्ट्राइक की. रिपोर्टों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेशन अथॉरिटी (PTA) को शुक्रवार मध्यरात्रि से अनिश्चितकाल के लिए मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद करने का निर्देश दिया. यह निर्णय गृह मंत्री मोहसिन नकवी की मंजूरी से लिया गया है. वहीं काबुल में यह हमला भी मिडनाइट के तुरंत बाद किया गया. 

पंजाब और रावलपिंडी में धारा 144 लागू

हालांकि बंद के कारणों पर अभी खुलकर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं कानून प्रवर्तन एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, क्योंकि राजधानी में TLP के बड़े विरोध प्रदर्शन की आशंका है. पंजाब सरकार ने पूरे प्रांत में तुरंत प्रभाव से धारा 144 लागू कर दी है, जिसके तहत 10 दिनों तक किसी भी प्रकार के प्रदर्शन, रैली या सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध रहेगा. इसके अलावा, पूरे पंजाब में हथियारों के प्रदर्शन और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है. रावलपिंडी में धारा 144 पहले से 11 अक्टूबर तक लागू है, जबकि इस्लामाबाद में सभी प्रमुख एंट्री पॉइंट्स बंद कर दिए गए हैं. रेड जोन को पूरी तरह सील कर दिया गया है और केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही मारगल्ला रोड के जरिए प्रवेश की अनुमति है.

क्यों हुईं लाहौर में हिंसक झड़पें?

पुलिस के अनुसार, लाहौर शहर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों और TLP कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हुईं, जिसमें कई लोग घायल हुए. यह झड़पें इजरायल विरोधी प्रदर्शन को लेकर भड़कीं. तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान द्वारा शुक्रवार को इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने की घोषणा के बाद, पंजाब पुलिस ने पार्टी प्रमुख साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार करने के लिए उनके मुख्यालय पर छापा मारा. हिंसा बुधवार रात और गुरुवार सुबह तक जारी रही, जब पुलिस ने कार्रवाई शुरू की.

लाहौर हिंसा में एक दूसरे पर दोषारोपण

एक पुलिस अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कम से कम पाँच पुलिसकर्मी और एक दर्जन से अधिक TLP कार्यकर्ता घायल हुए हैं. झड़पें कई घंटों तक चलीं. वहीं, TLP ने दावा किया कि उसके एक कार्यकर्ता की मौत हो गई और 20 से अधिक घायल हुए हैं. अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने यतीम खाना, लाहौर स्थित TLP मुख्यालय पर छापा मारा था ताकि पार्टी प्रमुख साद रिजवी की गिरफ्तारी की जा सके, लेकिन पुलिस पर हमला कर दिया गया.

उन्होंने बताया कि गुस्साए टीएलपी कार्यकर्ताओं ने पुलिसकर्मियों पर पत्थराव किया और लोहे की छड़ों से हमला किया. अधिकारी ने कहा, ‘‘अब तक रिजवी गिरफ्तारी से बच रहा है और टीएलपी मुख्यालय के आसपास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं तथा इलाके में तनाव व्याप्त है.’’ अधिकारी ने बताया कि पंजाब सरकार टीएलपी समर्थकों के साथ झड़पों से बचने के लिए अर्धसैनिक ‘रेंजर्स’ को तैनात करने पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘आमतौर पर धार्मिक दलों के कार्यकर्ता रेंजर्स कर्मियों पर हमला नहीं करते हैं.’’

वहीं TLP प्रवक्ता ने सरकार की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण ‘लब्बैक या अक्सा मिलियन मार्च’ को रोकने के लिए मुख्यमंत्री मरियम नवाज की सरकार ने शर्मनाक हथकंडे अपनाए हैं. निहत्थे कार्यकर्ताओं और नेताओं पर अत्याचार तुरंत बंद होना चाहिए.”

इजरायल विरोधी प्रदर्शन

टीएलपी प्रवक्ता ने कहा, “गाजा में मुसलमानों पर यहूदियों द्वारा अत्याचार किया जा रहा है जबकि यहां उनके समर्थक मुसलमानों पर अत्याचार कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि टीएलपी के उप प्रमुख पीर सैयद जहीर-उल-हसन शाह की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में सरकार द्वारा उत्पीड़न बढ़ गया है. प्रवक्ता ने आरोप लगाया, “पाकिस्तान में अब फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाना अपराध बन गया है. सच की आवाज को ताकत के बल पर दबाया नहीं जा सकता. हर अत्याचार अंततः असफल होगा.” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर गिरफ्तारियां और छापे बंद नहीं किए गए, तो जनता की प्रतिक्रिया के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी.

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