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ICC के नाम खुला खत : इस पाकिस्तानी क्रिकेटर को बैन क्यों नहीं कर रहे आप?


IND vs PAK: भारत और पाकिस्तान के बीच रविवार को खेले गए मुकाबले में माहौल काफी तनावपूर्ण रहा. भारत ने ग्रुप चरण में पाकिस्तानी खिलाड़ियों से किसी भी मौके पर हाथ नहीं मिलाने का फैसला किया. इस बात और 7 विकेट से हार ने पाकिस्तान को झकझोर दिया. वह अपना दुखड़ा लेकर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के पास भी पहुंचे और मैच रेफरी एंडी पाइक्रॉफ्ट को हटाने की मांग कर दी. हालांकि आईसीसी ने पाकिस्तान की मांग को सिरे से खारिज कर दिया और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड से ही कई सवाल पूछ डाले. एक समय टीम पर बैन का संकट भी मंडराने लगा था. अब सुपर चार मुकाबले में पाकिस्तानियों ने एक नया हथकंडा अपनाया और आतंकवादी हमलों जैसे गंभीर मुद्दे पर भारतीय खिलाड़ियों के साथ स्लेजिंग की कोशिश की. सलामी बल्लेबाज साहिबजादा फरहान ने पचासा जड़ने के बाद गोलियां चलाने जैसा जश्न मनाया. इसके बाद तेज गेंदबाज हारिस रऊफ ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का मजाक बनाने का प्रयास किया. इन सब हरकतों ने फैंस को गुस्से से लाल कर दिया, लेकिन आईसीसी की ओर से इन सब पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. open letter to ICC Why are not you banning Pakistani cricketer Haris Rauf

IND vs PAK: जेंटलमैन गेम की हो रही फजीहत

क्रिकेट को एक जेंटलमैन गेम कहा जाता है, लेकिन कई बार मैदान पर खिलाड़ियों की हरकतों ने इस खेल की साख पर सवाल उठाए हैं. अब रविवार को दुबई में पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने जिस तरह की हरकतें की, उनपर आईसीसी की ओर से बैन लगाया जाना चाहिए. जहां तक आचारसंहिता के उल्लंघन का मामला है, आईसीसी हमेशा खिलाड़ियों और टीमों पर जुर्माना लगाता है और एक डिमेरिट अंक भी देता है. तीन डिमेरिट अंक खिलाड़ी या टीम को एक मैच के लिए बैन करने के लिए पर्याप्त होता है. फिर भी अब तक ऐसा शायद ही देखने को मिला है कि क्रिकेट की वैश्विक संस्था ने विवादित हरकतों के लिए किसी भी खिलाड़ी पर तत्काल बैन लगाया हो. हालांकि पाकिस्तानियों ने जिस प्रकार की हरकतें की हैं, वह करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है. खासकर फरहान का जश्न आतंकवादियों से प्रेरित लगता है और सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह की प्रतिक्रियाएं आ भी रही हैं. फैंस का एक बड़ा वर्ग इस खिलाड़ी के बैन का मांग कर रहा है.

पहले भी शर्मनाक हरकतें करता रहा है हारिस राऊफ

हारिस राऊफ पाकिस्तान के लिए तेज गेंदबाजी में एक बड़ा नाम बन चुका है. राऊफ की स्पीड और आक्रामकता बल्लेबाजों को उकसाने का काम करती है, लेकिन अक्सर यही आक्रामकता खेल भावना की सीमाएं लांघ जाती है. यह कोई नई बात नहीं है कि राऊफ खिलाड़ियों और फैंस से भिड़ा हो. उसे कई बार खिलाड़ियों और फैंस की ओर अनुचित इशारे करते, गाली-गलौज करते और भीड़ की तरफ आपत्तिजनक प्रतिक्रिया देते देखा गया है. रविवार को राऊफ के ये बेशम्र हरकतें कैमरे में साफ कैद हुईं. यह घटना इतनी स्पष्ट थी कि किसी भी तटस्थ पर्यवेक्षक को अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकती थीं, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि ICC ने उनके खिलाफ कोई बड़ा कदम नहीं उठाया. केवल जुर्माना या चेतावनी देना ऐसे मामलों में पर्याप्त नहीं माना जा सकता. सवाल उठता है कि क्या ICC बड़े नाम वाले खिलाड़ियों या मार्केट वैल्यू वाले देशों के खिलाड़ियों पर ढिलाई बरतता है?

साहिजादा फरहान मैदान पर क्यों बना आतंकवादी

राऊफ के बाद एक और नाम है साहिबजादा फरहान का. अर्धशतक जड़ने के बाद फरहान ने जिस प्रकार अपने बल्ले को गन बना लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग का इशारा करने लगे, यह आतंकवादी हमलों की याद दिलाता है. पिछले दिनों ही भारत ने पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला झेला है, जिसमें करीब दो दर्जन मासूम पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया गया. यह किसी से छुपा नहीं है कि वे आतंकवादी पाकिस्तान समर्थित थे और लोगों से धर्म पूछकर गोलियां चला रहे थे. ऐसे में फरहान का वह जश्न उसके और उसके देश के नागरिकों की असंवेदनशीलता का जीता जागता प्रमाण है. आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं है, आज पूरा विश्व इससे पीड़ित है. जानबूझकर किसी क्रिकेटर द्वारा इस प्रकार का खुलेआम संकेत देना क्या आईसीसी के बैन के लिए पर्याप्त नहीं ह?

अब तक किन पाकिस्तानियों पर लगा है बैन

पाकिस्तान के कई खिलाड़ियों पर पूर्व में आईसीसी ने बैन लगाया है, लेकिन उनमें से ज्यादातर मामले मैच फिक्सिंग को लेकर ही लगाए गए हैं. मैदान पर शर्मनाक और विवादित हरकतों पर अब तक आईसीसी ने कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया है. पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर कई बार ऑन-फील्ड बर्ताव और डोपिंग विवादों के चलते बैन झेल चुके हैं. स्पॉट फिक्सिंग मामला 2010 में सलमान बट, मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर को इंग्लैंड दौरे पर नो-बॉल स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल में पकड़ा गया. तीनों खिलाड़ियों पर ICC ने लंबा बैन लगाया. पूर्व कप्तान सलीम मलिक पर मैच फिक्सिंग के आरोप साबित होने के बाद लाइफटाइम बैन लगाया गया. मलिक बैन झेलने वाला पहला इंटरनेशनल खिलाड़ी है और उस मामले में उसे जेल भी जाना पड़ा था. बाकी देशों के कई खिलाड़ियों पर भी आईसीसी ने बैन लगाया है, लेकिन ज्यादातर मामले डोपिंग और मैच फिक्सिंग से ही जुड़े हैं. इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान क्रिकेट में विवाद कोई नई बात नहीं है. फर्क सिर्फ इतना है कि कभी ICC ने सख्ती दिखाई और कभी मामले को हल्के में लिया गया.

पूर्व क्रिकेटरों की क्या है राय

भारत के कई पूर्व क्रिकेटरों ने हारिस रऊफ और साहिबजादा फरहान की हरकतों पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं. कईयों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब भी दिया है और खिलाड़ियों पर पाकिस्तान की गंदी राजनीति का एजेंडा चलाने का आरोप भी लगाया है. मैदान पर इस प्रकार की हरकतों को गैरजरूरी बताया गया. यहां कुछ प्रतिक्रियाओं पर नजर डालते हैं…

महान सुनील गावस्कर ने कहा, ‘क्रिकेट हमेशा से जेंटलमैन का खेल माना गया है. अगर कोई खिलाड़ी बार-बार अनुशासन तोड़ता है और उस पर सख्ती नहीं की जाती, तो यह बाकी खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए गलत संदेश है. ICC को चाहिए कि वह नियम सब पर समान रूप से लागू करे, चाहे खिलाड़ी किसी भी देश से हो.’
पूर्व खिलाड़ी हरभजन सिंह ने कहा, ‘हारिस राऊफ और साहिबजादा फरहान जैसे खिलाड़ियों की हरकतें खेल की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं. अगर भारतीय या ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ऐसी हरकत करते तो शायद तुरंत बैन हो चुका होता. सवाल यह है कि पाकिस्तान के खिलाड़ियों के मामले में ICC इतनी नरमी क्यों बरत रहा है?’
गौतम गंभीर ने कहा, ‘हम खिलाड़ियों को हमेशा यही कहते हैं कि मैदान पर जोश दिखाओ लेकिन अनुशासन मत खोओ. अगर कोई गेंदबाज बल्लेबाज को गाली देता है या अंपायर से उलझता है और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती, तो खेल की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है. सख्त कदम उठाना ही एकमात्र रास्ता है.’
इरफान पठान ने कहा, ‘दुनिया भर में लाखों बच्चे हमें देखते हैं और सीखते हैं. अगर वे यह देखेंगे कि बड़े खिलाड़ी बिना सजा पाए गलत हरकतें करते हैं, तो वे भी इसे सामान्य मानेंगे. क्रिकेट बोर्ड और ICC को खिलाड़ियों के लिए स्पष्ट और कठोर संदेश देना चाहिए.’
संजय मांजरेकर ने कहा ‘ICC की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यही है कि वह खेल की साख बनाए रखे. अगर एक ही तरह की घटनाओं पर अलग-अलग फैसले दिए जाते हैं, तो यह संस्था की विश्वसनीयता को कम करता है. नियम और दंड सबके लिए एक समान होने चाहिए.’

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