Umpire Dickie Bird Died: दुनिया के सबसे मशहूर अंपायरों में शुमार डिकी बर्ड (Dickie Bird) का मंगलवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया. इंग्लैंड में जन्मे बर्ड का खिलाड़ी करियर भले ही बहुत लंबा और सफल नहीं रहा, लेकिन अंपायरिंग के क्षेत्र में उन्होंने इतिहास रचा. बर्ड ने अपने करियर में 66 टेस्ट और 69 वनडे मैचों में अंपायरिंग की. 1975 और 1979 वर्ल्ड कप फाइनल से लेकर भारत के कई ऐतिहासिक मुकाबलों तक वे मैदान पर अपनी सटीकता और सादगी के लिए जाने जाते थे.
डिकी बर्ड का क्रिकेट करियर
डिकी बर्ड का जन्म 1933 में इंग्लैंड में हुआ था. खिलाड़ी के रूप में उन्होंने यॉर्कशायर और लीसेस्टरशायर की ओर से 93 प्रथम श्रेणी और 2 लिस्ट ए मुकाबले खेले. उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 3314 रन बनाए, जिसमें 2 शतक और 14 अर्धशतक शामिल रहे. उनकी बेस्ट पारी 181 रनों की रही. हालांकि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का मौका नहीं मिला. महज 32 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया और इसके बाद उनका सफर अंपायरिंग की ओर मुड़ गया.
भारतीय क्रिकेट से खास जुड़ाव
डिकी बर्ड का भारतीय क्रिकेट से भी गहरा नाता रहा. 1983 वर्ल्ड कप फाइनल जिसमें भारत ने वेस्टइंडीज को हराकर इतिहास रचा था, उसमें बर्ड अंपायर थे. इसके अलावा उनका आखिरी टेस्ट मैच 1996 में लॉर्ड्स में भारत बनाम इंग्लैंड के बीच खेला गया था. यही वह मुकाबला था जिसमें सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने टेस्ट डेब्यू किया. भारतीय खिलाड़ियों और फैंस ने उन्हें हमेशा एक भरोसेमंद अंपायर के रूप में याद किया है.
अंपायरिंग करियर की शुरुआत
1970 में बर्ड ने अंपायरिंग शुरू की और 1973 में न्यूजीलैंड बनाम इंग्लैंड के बीच लीड्स टेस्ट उनका पहला इंटरनेशनल मैच था. आगे चलकर उन्होंने 66 टेस्ट और 69 वनडे मैचों में अंपायरिंग की. इसके अलावा 7 महिला वनडे मुकाबले भी उनके करियर का हिस्सा रहे. उन्हें खास पहचान 1975 और 1979 में हुए पहले दो वर्ल्ड कप फाइनल में अंपायरिंग करने से मिली. बर्ड की शैली सरल और निष्पक्ष मानी जाती थी, और इसी कारण वे खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों के बीच सम्मानित शख्सियत बन गए.
डिकी बर्ड के यादगार पल
डिकी बर्ड को जून 1986 में ब्रिटिश एम्पायर के ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (MBE) से सम्मानित किया गया. उनके करियर का सबसे भावुक पल 1996 का लॉर्ड्स टेस्ट रहा, जब उनके आखिरी टेस्ट मैच में इंग्लैंड और भारत के खिलाड़ियों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. उस समय पूरा स्टेडियम खड़ा होकर तालियां बजा रहा था और बर्ड की आंखें नम हो गई थीं. उनका आखिरी प्रथम श्रेणी मैच 1998 में यॉर्कशायर और वार्विकशायर के बीच खेला गया.
क्रिकेट जगत में उनकी विरासत
डिकी बर्ड सिर्फ अंपायर नहीं बल्कि क्रिकेट की एक जीवित विरासत थे. वे अपने सटीक फैसलों, सादगी और भावुक स्वभाव के लिए मशहूर रहे. मैदान पर उनकी उपस्थिति खिलाड़ियों में आत्मविश्वास जगाती थी. उनकी किताबें और यादें आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी.
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