नई दिल्ली. रोहित शर्मा को वनडे टीम का कप्तान बनाकर बीसीसीआई ने टीम इंडिया का रोडमैप साफ कर दिया है. अब अगले दो साल रोहित शर्मा ही टीम को लीड करेंगे. उन्हें भी फैसले लेने में वैसी ही छूट मिलेगी, जैसी विराट कोहली को मिलती रही है. लेकिन क्या रोडमैप तैयार हो जाने से सफर आसान हो जाएगा. लगता नहीं है.
इंटरनेशनल क्रिकेट में अगले 2 साल बेहद व्यस्त हैं. 2022 में टी20 वर्ल्ड और 2023 में वनडे वर्ल्ड कप होना है. रोहित शर्मा को टी20 के बाद वनडे टीम की कमान सौंपे जाने की मुख्य वजह यही दो टूर्नामेंट हैं. टी20 वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया और वनडे वर्ल्ड कप भारत में होगा. भारत 2013 के बाद से एक भी आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीत सका है. विश्व चैंपियन बने तो उसे 10 साल से ज्यादा हो गए हैं. ऐसा नहीं है कि भारतीय टीम किसी विश्व चैंपियन टीम से कमजोर है. भारतीय टीम हर टूर्नामेंट में बतौर दावेदार उतरती है. आखिरी मौके को छोड़ दें तो टीम अच्छा प्रदर्शन भी करती है. विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम का इतिहास शीशे की तरह साफ है- शुरुआती मैच अच्छा खेलो और सेमीफाइनल या फाइनल में ठिठक जाओ. रोहित शर्मा को भारतीय टीम की आखिरी पलों में चूकने की इसी कमी को दूर करना है.
रोहित शर्मा के लिए अच्छी बात यह है कि उनके पास बेहद सुलझा हुआ कोच है, जो बिना किसी दबाव में आए उनकी मदद करने वाले हैं. मौजूदा टीम इंडिया की यूथ ब्रिगेड और बेंच स्ट्रेंथ तैयार करने में कोच राहुल द्रविड़ की सबसे अधिक भूमिका है. वे इन युवा खिलाड़ियों को बहुत अच्छी तरह जानते-पहचानते हैं. रोहित शर्मा के लिए राहुल का यह अनुभव किसी लॉटरी से कम नहीं है. रोहित जानते हैं कि उनके पास बतौर कप्तान 2 साल से कम का ही वक्त है. इस दौरान उन्हें दो अलग-अलग टीमें तैयार करनी हैं. अलग फॉर्मेट के हिसाब से खिलाड़ियों की भूमिका भी तय करनी होगी और उन्हें उसके लिए पर्याप्त वक्त और मौके भी देने होंगे. हकीकत यह है कि वक्त कम है और मौके भी गिनेचुने ही मिलने हैं.
भारतीय वनडे और टीम 20 टीम की बात करें तो इनमें दो ही कमियां दिखती हैं. पहली इन दोनों ही टीमों में फिनिशर नहीं है. अब फिनिशर रातोंरात तो तैयार होते नहीं हैं. इसलिए रोहित को अपनी कोर टीम से ही ऐसे खिलाड़ियों की पहचान करनी होगी, जो मैच फिनिश करने का हुनर रखते हों. पहचान करने के बाद उन पर पूरा भरोसा करना होगा. ऐसा करते वक्त 2019 के वनडे वर्ल्ड कप और 2021 के टी20 वर्ल्ड कप का अनुभव भी रोहित के काम आ सकता है. 2019 के लिए भारत ने फिनिशर की पहचान तो की, लेकिन उस पर भरोसा कायम नहीं रख पाए. 2021 में भी जिस ऑलराउंडर को फिनिशर की भूमिका सौंपी, उसने अनफिट होने के चलते गेंदबाजी से ब्रेक ले लिया और इससे टीम का संतुलन गड़बड़ा गया. रोहित को यह देखना होगा कि अगली बार ऐसा ना हो. रोहित के पास 2022 के टी20 वर्ल्ड कप के लिए तो ज्यादा वक्त नहीं है. लेकिन अक्टूबर 2023 में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप के पहले उन्हें पर्याप्त मौके मिलने वाले हैं. दरअसल विराट को हटाकर रोहित को वनडे टीम का कप्तान ही इसलिए बनाया गया है कि 2023 के लिए टीम तैयार की जा सके.
भारतीय वनडे और टीम 20 टीम की दूसरी कमजोरी ऑलराउंडर का ना होना है. अब फिनिशर तो फिर भी अनुभव के साथ तैयार किया जा सकता है, लेकिन ऑलराउंडर किसी को नहीं बनाया जा सकता. इसलिए हमारे पास जो ऑलराउंडर हैं, उन्हीं में से किसी पर भरोसा करना होगा. जैसा कि पहले कहा कि 2023 के विश्व कप में तो अभी वक्त है और यह भारत में ही होगा. इसलिए इस टूर्नामेंट में तो स्पिन ऑलराउंडर भी अच्छी भूमिका निभा सकते हैं और ऐसे ऑलराउंडर भारत के पास हैं भी. लेकिन 2022 में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले विश्व कप के लिए भारत को पेस ऑलराउंडर की सख्त दरकार है. अब देखना है कि रोहित इसके लिए किस पर दांव लगाते हैं.
रोहित शर्मा अब तीनों फॉर्मेट में खेलते हैं. इसलिए उन्हें अपनी फिटनेस का भी पूरा ध्यान रखना होगा. बायो-बबल के इस दौर में रोहित ना सिर्फ भारत के लिए सारे मैच खेलेंगे, बल्कि आईपीएल में मुंबई इंडियंस का कप्तान होने से भी उन पर अधिक जिम्मेदारी होगी. विराट पिछले दो साल से शतक के लिए जिस तरह से जूझ रहे हैं, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर वे टेस्ट टीम की कप्तानी भी छोड़ दें. अगर ऐसा हुआ तो रोहित शर्मा पर भयानक वाला दबाव आ सकता है. हालांकि, विराट कोहली भी एक साथ भारतीय टीम और आईपीएल टीम की कप्तानी संभाल चुके हैं. लेकिन रोहित का दबाव ज्यादा हो सकता है क्योंकि उन्हें ना सिर्फ कम वक्त में दो अलग-अलग फॉर्मेट की टीम तैयार करनी है, बल्कि यह सब बायो-बबल के दबाव में रहते हुए करना है.
स्पष्ट है कि रोहित शर्मा को बीसीसीआई भले ही विराट की तरह निर्द्वंद्व कप्तानी की छूट दे दे, लेकिन यह स्लॉग ओवर की बैटिंग जैसा मामला है. रोहित को बैटिंग करने का मौका तब मिला है, जब स्ट्राइक रेट तेजी से ऊपर ले जाना है. उनके पास पिच की उछाल और गेंद की स्विंग भांपने के लिए ज्यादा वक्त नहीं है. बीसीसीआई ने उस बॉल को रोहित की ओर पास कर दिया है, जिसे कोहली ने इस साल 16 सितंबर को अचानक बीच में छोड़ दिया था. कोहली ने सिर्फ टी20 टीम की कप्तानी छोड़कर यह मंशा साफ कर दी थी कि वे वनडे टीम की कमान अपने पास रखना चाहते हैं. बीसीसीआई ने ऐसा नहीं होने दिया, जो सही फैसला भी है. अब बॉल रोहित के पास है. वक्त कम है और चुनौती बड़ी है. लेकिन सोना भी तो कुंदन में तपकर ही निखरता है. रोहित शर्मा तो फिर भी खरा सोना है. उम्मीद है वे कोहली के बीच में छोड़े बॉल को गोल में पहुंचाकर ही दम लेंगे.