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राजनीति में कमलनाथ से आधे अनुभव वाले ज्‍योतिरादित्‍य का धोबी पछाड़, बचेगी या रहेगी सरकार

नई दिल्‍ली। मध्‍य प्रदेश के रास्‍ते देश की सियासत में आए भूचाल में जो सबसे बड़ा किरदार बनकर सामने आया है उसका नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया है। इस सियासी दांवपेंच में उन्‍होंने जिसको पटखनी दी है, वो कमलनाथ हैं। इस सियासी दंगल में कमलनाथ ने राजनीति में अपने से आधे अनुभवी के हाथों जिस तरह से मात खाई है वो अपने आप में काफी दिलचस्‍प है।

कमलनाथ दमदार सियासी सफर 

दोनों के राजनीतिक करियर को यदि देखें तो कमलनाथ का राजनीतिक करियर 1980 में शुरू हुआ था। उन्‍होंने अपने दम पर राजनीति में एक ऊंचा मुकाम पाया। इसके अलावा कमलनाथ कांग्रेस के उन दिग्‍गज नेताओं में से हैं जिन्‍होंने कभी कोई चुनाव नहीं हारा। 1980 से लगातार 2014 तक कमलनाथ ने चुनावी दंगल मे बड़े-बड़ों को सीधी टक्‍कर देकर हराया है। राजनीति में कमलनाथ गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया को विरासत में मिली सियासत  

वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात करें तो उन्‍हें राजनीति विरासत में मिली। अपने पिता और कांग्रेस के नेता माधवराव सिंधिया की आकस्मिक मौत के बाद उन्‍होंने गुना से भाजपा को देशराज सिंह यादव को करीब 4.5 लाख मतों से शिकस्‍त दी थी। सिंधिया उस परिवार से आते हैं जो ग्‍वालियर का बड़ा राजघराना है और राजनीति जिसकी परंपरा रही है।

सिंधिया और कमलनाथ के राजनीतिक करियर में भी दोगुने का अंतर है। ज्योतिरादित्य का राजनीतिक करियर जहां महज 18 साल का है वहीं कमलनाथ 40 वर्षों का है। कमलनाथ ने कई बार केंद्र में बड़ी जिम्‍मेदारी संभाली है वहीं सिंधिया की बात करें तो वो तीन बार केंद्र में मंत्री रहे हैं। ज्योतिरादित्य ने जहां महज 18 वर्षों के राजनीतिक करियर में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा का साथ पाया है वहीं कमलनाथ बीते 40 वर्षों से कांग्रेस के साथ खड़े रहे हैं।

मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को अपने दम पर बनाने का पूरा श्रेय कमलनाथ को ही जाता है। यहां पर कांग्रेस वर्षों से सत्‍ता को तरस रही थी। लेकिन यहां पर कांग्रेस की जीत के साथ ही कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के बीच  सीएम की कुर्सी को लेकर मुटाव भी साफतौर पर दिखाई देने लगा था। हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने यहां पर सीएम की कुर्सी कमलनाथ को सौंपी थी। इसकी वजह थी उनका लंबा राजनीतिक अनुभव। लेकिन मध्‍य प्रदेश में सरकार बनने के बाद से ही लगातार सरकार के सामने अपने ही चुनौतियां पेश कर रहे थे। इसमें सबसे बड़ा नाम ज्‍योतिरादित्‍य का था।