महज 24 साल की उम्र में शहीद हो गए थे पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा
धर्मशाला। Major Somnath Sharma Birth Anniversary: भारत में इस बार ऐसा गणतंत्र दिवस हुआ जब जम्मू कश्मीर में सिर्फ तिरंगा फहराया गया। इसी कश्मीर पर कब्जा करने आए पाकिस्तानी सेना और कबायलियों से भारत माता के जिस सपूत ने लोहा लिया था, वह थे परमवीर मेजर सोमनाथ शर्मा। देश के पहले परमवीर चक्र विजेता। ऐसा वीर… जिसकी रग-रग में बहादुरी थी। जिसने अपने आखिरी संदेश में कहा था, ‘दुश्मन हम से सिर्फ 50 गज के फासले पर है, हमारी तादाद न के बराबर है और हम जबरदस्त गोलाबारी से घिरे हैं…मगर एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा, जब तक हमारे पास आखिरी गोली और आखिरी फौजी है।’ उस वक्त उम्र थी केवल 24 साल। आज कश्मीर के उस नायक को उनकी जयंती पर याद करते हुए ख्याल आता है…वह 97 साल के होते।
सैन्य पृष्ठ भूमि और विरासत में मिले वीरता के गुण ही थे कि दुश्मन देश कश्मीर को नहीं ले पाया। मलाल केवल इतना है कि मेजर शर्मा के घर डाढ में ही सरकारें आज तक उनका स्मारक तक नहीं बना सकीं। शहीद के पिता ने बेटे को मिला परमवीर चक्र 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के हाथों प्राप्त किया था। परमवीर चक्र की घोषणा बेशक 1947 में की गई थी लेकिन वह समय विक्टोरिया क्रॉस का था।
कांगड़ा जिले के डाढ में शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा का घर, जहां उनके परिवार के सदस्य गर्मियों में ठहरते हैं।
पूरा परिवार सेना में
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर विधानसभा क्षेत्र के डाढ गांव में 31 जनवरी,1923 को मेजर जनरल अमरनाथ शर्मा के घर जन्मे मेजर सोमनाथ शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में हुई थी। मेजर जनरल अमर नाथ शर्मा आर्मी मेडिकल कोर, भाई लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र शर्मा इंजीनियरिंग कोर, छोटे भाई जनरल वीएन शर्मा आर्म्ड कोर, बहन कमल शर्मा व मनोरमा शर्मा ने आर्टीलरी व सिग्नल्स में सेवाएं दीं। कॉलेज के बाद मेजर सोमनाथ ने प्रिन्स ऑफ वेल्स रॉयल इंडियन मिलिट्री कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन से सैन्य सेवाएं शुरू की थीं।