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भ्रामक विज्ञापन दबाव डालने पर होगी कार्रवाई


Coaching Sector: उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. यह दिशानिर्देश, झूठे या भ्रामक दावों, बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई सफलता दरों और अनुचित अनुबंधों को लेकर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर तैयार किए गए हैं जो कोचिंग संस्थान अक्सर छात्रों पर थोपते हैं. इस तरह के तौर-तरीकों को छात्रों को गुमराह करने, महत्वपूर्ण जानकारी छुपाने, झूठी गारंटी देने आदि के माध्यम से उनके निर्णयों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है.

दिशानिर्देश कोचिंग में लगे प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होंगे, जिसका मतलब सिर्फ कोचिंग सेंटर ही नहीं है, बल्कि विज्ञापनों के माध्यम से अपनी सेवाओं को बढ़ावा देने वाले किसी भी एंडोर्सर या सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित व्यक्ति पर भी लागू होंगे. यदि वे झूठी सफलता दर या भ्रामक गारंटी का समर्थन करते हैं, तो कोचिंग सेंटरों के साथ-साथ उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाएगा.

 सीसीपीए मुख्य आयुक्त और उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने बुधवार को कहा कि कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश, 2024, का उद्देश्य छात्रों और आम जनता को कोचिंग केंद्रों द्वारा आमतौर पर अपनाए जाने वाले भ्रामक विपणन तौर-तरीकों से बचाना है. इन दिशा-निर्देशों का कोई भी उल्लंघन, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन माना जाएगा. केंद्रीय प्राधिकरण के पास दंड लगाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और इस तरह के भ्रामक तौर-तरीकों से होने वाली घटनाओं को रोकने सहित अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अधिकार है.

भ्रामक गारंटी का समर्थन करने वाले को भी बनाया जायेगा जवाबदेह

Coaching sector: भ्रामक विज्ञापन देने या अनुचित दबाव डालने पर कोचिंग केंद्रों पर होगी कार्रवाई 2

सुझाव में मुख्य तौर पर अकादमिक सहायता, शिक्षा प्रदान करना, मार्गदर्शन, निर्देश, अध्ययन कार्यक्रम या ट्यूशन या इसी तरह की प्रकृति की अन्य गतिविधि कोचिंग में शामिल है, लेकिन इसमें परामर्श, खेल, नृत्य, रंगमंच और अन्य रचनात्मक गतिविधियां शामिल नहीं हैं. दिशा-निर्देश कोचिंग संस्थानों को निम्नलिखित बातों से सम्बंधित झूठे दावे करने से स्पष्ट रूप से रोकते हैं. प्रस्तावित पाठ्यक्रम, उनकी अवधि, संकाय योग्यता, शुल्क और धनवापसी नीतियां.चयन दर, सफलता की कहानियां, परीक्षा रैंकिंग और नौकरी की सुरक्षा के वादे. सुनिश्चित प्रवेश, उच्च परीक्षा स्कोर, गारंटीकृत चयन या पदोन्नति. उनकी सेवाओं की गुणवत्ता या मानक के बारे में भ्रामक प्रतिनिधित्व सख्त मना है. कोचिंग संस्थानों को अपने बुनियादी ढांचे, संसाधनों और सुविधाओं के बारे में सटीक रूप से बताना चाहिए. 

कथित तौर पर दिशा-निर्देश कोचिंग केंद्रों को छात्रों की लिखित सहमति के बिना विज्ञापनों में उनके नाम, फ़ोटो या प्रशंसापत्र का उपयोग करने पर रोक लगाएंगे. कोचिंग केंद्रों को विज्ञापन में छात्र की तस्वीर के साथ-साथ नाम, रैंक और पाठ्यक्रम विवरण जैसी महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करना होगा. छात्र द्वारा पाठ्यक्रम के लिए भुगतान के बारे में भी स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए. इसके अतिरिक्त, किसी भी अस्वीकरण को अन्य महत्वपूर्ण विवरणों के समान फ़ॉन्ट आकार के साथ प्रमुखता से प्रदर्शित करने की आवश्यकता होगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों को बारीक प्रिंट से गुमराह न किया जाए. प्रत्येक कोचिंग सेंटर को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के साथ भागीदारी करनी होगी, जिससे छात्रों के लिए भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार तौर-तरीकों के बारे में जानकारी देना या शिकायत दर्ज करना आसान हो जाएगा.

छात्रों के शोषण को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

खरे ने इस बात पर जोर दिया कि सीसीपीए कोचिंग क्षेत्र के हितधारकों, उपभोक्ता संगठनों और नियामक निकायों के साथ मिलकर काम करना चाहता है ताकि छात्रों और जनता के हित में दिशानिर्देशों का प्रभावी कार्यान्वयन और अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके. कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार शासित होंगे और दिशानिर्देश हितधारकों के लिए स्पष्टता लाएंगे और उपभोक्ता हितों की रक्षा करेंगे.ये दिशा निर्देश छात्रों के शोषण को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं कि छात्रों को झूठे वादों द्वारा गुमराह न किया जाए या उपभोक्ताओं और व्यापक शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र दोनों को लाभ पहुंचाने वाले अनुचित अनुबंधों में मजबूर न किया जाए.

कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन रोकथाम के लिए दिशानिर्देश, 2024 से इस क्षेत्र में बहुत आवश्यक पारदर्शिता और निष्पक्षता आने की उम्मीद है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि छात्र और उनके परिवार सच्ची जानकारी के आधार पर सूचित निर्णय ले सकें. ये दिशानिर्देश किसी भी मौजूदा विनियमन के अतिरिक्त होंगे, जो कोचिंग क्षेत्र में विज्ञापनों को नियंत्रित करने वाले समग्र नियामक ढांचे को बढ़ाएंगे.

व्यापक विचार-विमर्श के बाद आया दिशा-निर्देश

गौरतलब है कि कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन रोकथाम के लिए दिशा-निर्देशों पर तत्कालीन सीसीपीए मुख्य आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी और उसमें केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, शिक्षा मंत्रालय, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में), राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) दिल्ली, विधि फर्म और उद्योग हितधारकों जैसे संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे.
सीसीपीए द्वारा कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन रोकथाम के लिए दिशानिर्देश लाने की आवश्यकता पर समिति के सदस्यों में आम सहमति बनी थी.

समिति ने पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद अपने सुझाव प्रस्तुत किए और उनके आधार पर सीसीपीए ने 16 फरवरी 2024 को मसौदा दिशानिर्देश सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए रखे. शिक्षा मंत्रालय, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), एएलएलईएन करियर इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड, इंडिया एडटेक कंसोर्टियम और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई), एफआईआईटीजेईई, करियर 360 कोचिंग प्लेटफॉर्म, चिर्रावुरी रिसर्च फाउंडेशन फॉर ह्यूमन एंड ग्लोबल रिफॉर्म्स, सिविक इनोवेशन फाउंडेशन, वाधवानी फाउंडेशन और कंज्यूमर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर (सीईआरसी) सहित 28 विभिन्न हितधारकों ने सार्वजनिक सुझाव भेजे थे.