Omicron पर वैक्सजेवरिया के प्रभाव का अध्ययन कर रही एस्ट्राजेनेका, भारत को भी रिपोर्ट का इंतजार
नई दिल्ली. दुनियाभर के 38 देशों में फैल चुके कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण रोकने के लिए विशेषज्ञों ने इस वैरिएंट पर अपना अध्ययन तेज कर दिया है. ब्रिटिश-स्वीडिश दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका की ओर से जानकारी मिली है कि कंपनी कोरोनोवायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ अपने वैक्सजेवरिया COVID-19 वैक्सीन की प्रभावशीलता का अध्ययन कर रही है. एस्ट्राजेनेका इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अनिल कुकरेजा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक वैक्सीन प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जिसमें नए वैरिएंट के बारे में अध्ययन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी बहुत जल्द इस वैरिएंट के संबंध में अहम जानकारी देगी.
बता दें कि दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका के अध्ययन का सीधा असर भारत में भी देखने को मिलेगा. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि भारत में लगाई गई कोरोना वैक्सीन में से 10 में से 9 लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई है तो वैक्सजेवरिया का समान संस्करण है. इस वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से तैयार किया गया है. भारत में सोमवार तक 1,28,76,10,590 लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जा चुकी है. कुकरेजा ने कहा, किसी भी नए कोरोना वैरिएंट की तरह ही ओमिक्रॉन के बारे में भी हम ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करना चाहते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘ओमिक्रॉन’ वेरिएंट कई बार उत्परिवर्तन का नतीजा है. कोविड के अधिक संक्रामक स्वरूप बी.1.1.1.529 के बारे में पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया गया था. इसके बाद बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग, इजरायल, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, नीदरलैंड, जापान, जर्मनी और फ्रांस सहित कई देशों में भी इसकी पहचान की गई है.
ओमिक्रॉन को कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों में सबसे खतरनाक माना जा रहा है. डब्ल्यूएचओ ने 26 नवंबर को इसे ‘चिंताजनक’ स्वरूप (Variant of Concern) बताते हुए ओमिक्रॉन नाम दिया. ‘चिंताजनक स्वरूप’ डब्ल्यूएचओ की कोरोना वायरस के ज्यादा खतरनाक स्वरूपों की शीर्ष श्रेणी है. कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट को भी इसी श्रेणी में रखा गया था.