COVID-19: जीवन में जरूरी है हौसले का एंटी-वायरस, सतर्क हो निर्देशों का करें पालन
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की अपील पर रविवार को पूरे देश में स्वत: स्फूर्त ‘जनता कर्फ्यू’ और शाम पांच बजते ही शंख, थालियां, तालियां आदि बजाने का अभूतपूर्व दृश्य यह साबित करता है कि लोग अपने साथ-साथ दूसरों के स्वास्थ्य को लेकर कितने जागरुक हैं। बेशक चीन सहित इटली, ईरान, स्पेन आदि कई देशों में कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के बावजूद हमारे यहां तमाम लोग इसके खतरे की गंभीरता को समझने में नादानी कर रहे थे और यही कारण था कि विदेश दौरे से आने के बावजूद खुद को आइसोलेशन में रखने की बजाय बेधड़क पार्टियों में शामिल हो रहे थे। लेकिन प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद इसकी गंभीरता का अंदाजा हर किसी को हो गया और सभी यह शिद्दत से महसूस करने लगे कि अगर अभी सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो आगे चलकर सबके लिए भारी मुसीबत हो सकती है।
कुछ समझदार कहे जाने वाले लोग जाने-अनजाने अपने साथ-साथ दूसरों को भी खतरे में डाल रहे हैं, पर थोड़ी-सी सावधानी इसके प्रभाव को बढ़ने से बचा सकती है। दहशत को हावी होने देने की बजाय हौसले और आत्मीविश्वास का एंटी-वायरस हमारे जीवन में बेहद जरूरी है।
केंद्र और राज्य सरकारें एक के बाद एक लगातार कड़े कदम उठा रही हैं, यहां तक कि कई राज्यों/शहरों में पूरी तरह लॉकडाउन तक भी करना पड़ रहा है। हालांकि रेलवे बोर्ड द्वारा यात्री ट्रेनें बंद करने की घोषणा से मुंबई जैसे शहरों से बड़ी संख्या में अपने घरों की ओर लौट रहे मुसाफिरों को भारी दिक्कत हो सकती है, लेकिन आगे आने वाली इससे बड़ी मुसीबत की आशंका को टालने के लिए इस तरह के कदम जरूरी भी हैं। ऐसे लोगों के लिए रेलवे और राज्य सरकारों द्वारा आवश्यक व्यवस्था करके आपा-धापी और दहशत की स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस के तीसरे-चौथे चरण में पहुंचने की स्थिति और इसकी चपेट में आने वाले हजारों-लाखों लोगों को देखते हुए हमारे देश में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लॉकडाउन की स्थिंति को सही समय पर उठाया गया सही कदम माना जा सकता है। बेशक इससे रोजमर्रा की आम गतिविधियां लगभग पूरी तरह से ठप पड़ रही हैं, पर इस तरह के कदम से ही बड़े संकट से काफी हद तक बचा जा सकता है। हालांकि दुनिया के तमाम देश अभी भी इस तरह का कदम उठाने में हिचकिचाहट दिखा रहे हैं, जिसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में जब यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में तेजी से फैल सकती है/फैल रही है, भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश में जनता को इस तरह के खतरे से आगाह और जागरूक करना बेहद जरूरी था।