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Citizenship Amendment Act: आखिर कांग्रेस ने माना, सीएए से नहीं जाएगी किसी की नागरिकता

नई दिल्ली। पिछले दो महीने से मुस्लिमों के बीच नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को नागरिकता पर संकट के रूप में पेश किया जाता रहा है। लेकिन गुरुवार को कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने संसद के अंदर खुद स्वीकार किया कि सीएए से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी।

हालांकि एनपीआर को लेकर संशय जरूर दिखाया जो गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद खत्म हो गया। दरअसल चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि सिब्बल तो वकील हैं, वह बताएं कि सीएए से किसकी नागरिकता जा रही है।

सिब्बल ने खड़े होकर कहा कि किसी की नहीं, लेकिन एनपीआर में जिसका जवाब नहीं मिलेगा तो उसके आगे ‘डी’ लिख दिया जाएगा। यानी ‘डाउटफुल’। शाह ने सदन को आश्वस्त किया कि कोई ‘डी’ लगने वाला नहीं है। किसी को इससे डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एनपीआर में न तो कोई दस्तावेज मांगा जाएगा और न ही किसी सवाल का जवाब नहीं देने पर कोई सवाल उठाया जाएगा।

इसके बाद शाह ने सभी दलों से अपील की कि वे एक होकर कहें कि सीएए से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी तो एक भी दंगे नहीं होंगे। इसके बाद शाह ने कहा कि कपिल सिब्बल साहब सुप्रीम कोर्ट के बहुत बड़े वकील हैं। सीएए में कोई एक ऐसा प्रावधान बता दीजिए जिससे मुस्लिमों की नागरिकता जाती हो। तब सिब्बल अपनी सीट से उठे और कहा, ‘कोई नहीं कह रहा कि सीएए किसी की नागरिकता छीनेगा।’ उनके इस बात को शाह ने भी तपाक से लपक लिया और कहा कि वह कांग्रेस के कई नेताओं को कोट कर सकते हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि सीएए मुसलमानों की नागरिकता छीन लेगा।

इसके बाद सिब्बल ने एनपीआर का जिक्र किया। उन्होंने कहा लेकिन कानून यह (सीएए) कहता है कि जब एनपीआर होगा तो उसमें 10 और सवाल पूछे जाएंगे। उस समय अगर डाउटफुल का मार्क लगा दिया गया तो मुश्किल होगी गरीबों को, केवल मुसलमानों को मुश्किल नहीं होगी, सभी गरीबों को होगी। इसके बाद शाह ने सदन को भरोसा दिलाया कि एनपीआर में किसी से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा और जो जितनी सूचना देना चाहेगा, उतना ही दे, यह वैकल्पिक है। शाह ने यह भी कहा कि कोई डाउटफुल मार्क नहीं लगेगा। देश में किसी को भी एनपीआर से डरने की जरूरत नहीं है।