EBM News Hindi
Leading News Portal in Hindi

करियप्‍पा का नाम सुनकर पीछे हट जाते थे पाकिस्‍तानी सेना के जनरल, देते थे पूरा सम्‍मान

नई दिल्ली । फील्‍‍‍ड मार्शल केएम करियप्‍पा ने भारतीय-ब्रिटिश फौज की राजपूत रेजीमेंट में सेंकेंड लेफ्टीनेंट पद पर नियुक्ति से अपनी नौकरी की शुरूआत की थी। 1947 के भारत-पाक युद्ध में उन्‍होंने पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया। 15 जनवरी 1949 में उन्हें भारत का सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। इसी खास दिन को बाद में सेना दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। वर्ष 1953 में सेना से रिटायर होने के बाद उन्‍हें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में राजदूत बनाया गया। उन्‍होंने अपने अनुभव के चलते कई देशों की सेनाओं के पुनर्गठन में भी मदद की थी। भारत सरकार ने सन 1986 में उन्हें ‘फील्ड मार्शल’ का पद दिया। सेवानिवृत्ति के बाद केएम करिअप्पा कर्नाटक के कोडागु जिले के मदिकेरी में बस गए। वह प्रकृति प्रेमी थे और लोगों को पर्यावरण संरक्षण आदि के बारे में भी अवगत कराया। 94 साल की उम्र में करिअप्पा का निधन 15 मई 1993 को बैंगलोर में हुआ था। करिअप्पा को ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर, मेन्शंड इन डिस्पैचेस और लीजियन ऑफ मेरिट जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया था। 

फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा बंटवारे से पहले पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के भी BOSS (बॉस) रह चुके थे। उन्हीं से जुड़ा करिअप्पा की जिंदगी का एक ऐसा प्रसंग है जिसने उन्हें सबसे महान सैनिक बना दिया था। बात वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध की है। करिअप्पा रिटायर होकर कर्नाटक के अपने गृहनगर में रह रहे थे। उनका बेटा केसी नंदा करिअप्पा उस वक्त भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट था। युद्ध के दौरान उसका विमान पाकिस्तान सीमा में प्रवेश कर गया, जिसे पाक सैनिकों ने गिरा दिया। नंदा ने विमान से कूदकर जान तो बचा ली, लेकिन वह पाक सैनिकों के हत्थे चढ़ गए।

उस वक्त पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान थे, जो कभी केएम करिअप्पा के अधीन भारतीय सेना में नौकरी कर चुके थे। उन्हें जैसे ही नंदा के पकड़े जाने का पता चला उन्होंने तत्काल केएम करिअप्पा को फोन किया और बताया कि वह उनके बेटे को रिहा कर रहे हैं। इस पर करिअप्पा ने बेटे का मोह त्याग कर कहा कि वह केवल मेरा बेटा नहीं, भारत मां का लाल है। उसे रिहा करना तो दूर कोई सुविधा भी मत देना। उसके साथ आम युद्धबंदियों जैसा बर्ताव किया जाए। आपसे (अयूब खान से) गुजारिश है कि सभी युद्धबंदियों को रिहा कर दीजिए या फिर किसी को नहीं। हालांकि युद्ध समाप्त होने पर पाकिस्तान ने नंदा को रिहा कर दिया था।