Delhi Election 2020: हर बार मौजूदा विधायक के लिए असुरक्षित साबित होती है दिल्ली की यह सीट
नई दिल्ली उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्र की गोकलपुर सुरक्षित सीट हर बार मौजूदा विधायक के लिए असुरक्षित साबित हुई है। यहां मतदाता प्रत्याशियों की कड़ी परीक्षा लेकर ही चुनती है। यही वजह है कि हर बार यहां पर विजेता बदल जाता है। यहां तक कि बसपा जैसी कम जनाधार वाली पार्टी भी यहां जीत चुकी है। पहले यह नंदनगरी विधानसभा सीट थी, जो 2008 में परिसीमन के बाद गोकलपुर बन गई।
नंदनगरी सीट पर पहला चुनाव 1993 में हुआ था। इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी चौधरी फतेह सिंह ने कांग्रेस के रूप चंद गौतम को 781 वोटों से हरा दिया था। लेकिन, 1998 में रूप चंद गौतम ने फतेह चंद को शिकस्त दी। 2003 में कांग्रेस ने बलजोर सिंह को उतारा, उन्हें भी नंदनगरी ने मौका दिया। इस चुनाव में बसपा के सतीश कुमार दूसरे और भाजपा तीसरे नंबर पर चली गई थी। 2008 में गोकलपुर सीट बनने के बाद पहले चुनाव में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। भाजपा और कांग्रेस को नकारते हुए यह सीट बसपा के खाते में चली गई। बसपा प्रत्याशी चौधरी सुरेंद्र कुमार ने कांग्रेस के बलजोर सिंह को तीन हजार से अधिक वोटों से परास्त कर दिया।
भाजपा की टिकट पर पहला चुनाव लड़ रहे रंजीत सिंह कश्यप तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में फतेह सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में थे और करीब दस हजार वोटों के साथ वह चौथे स्थान पर रहे। 2013 में गोकलपुर ने भाजपा के प्रत्याशी रंजीत सिंह कश्यप को विधायक बनने का अवसर दिया। रंजीत ने निर्दलीय चौधरी सुरेंद्र सिंह को 1922 वोटों से शिकस्त दी।
वहीं, पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी के देवी दयाल तीसरे नंबर पर रहे। 2015 के चुनाव में गोकलपुर ने फिर से चौधरी फतेह सिंह पर भरोसा जताया। चौधरी फतेह सिंह बार आप के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे थे। जनता आप के साथ थी और उन्होंने करीब 32 हजार वोटों से भाजपा के रंजीत कश्यप को शिकस्त दे दी।
इस बार आप ने अपना प्रत्याशी बदल दिया। बसपा को यहां खाता खुलवाने वाले और निर्दलीय लड़कर भी दूसरे नंबर पर आने वाले चौधरी सुरेंद्र सिंह को पार्टी ने यहां उम्मीदवार बना दिया है। उधर भाजपा ने 2015 में हारे रंजीत कश्यप को फिर से मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस इस बार नए चेहरे के साथ सामने आई है। पार्टी ने यहां से एसपी सिंह को प्रत्याशी बनाया है।