Russia Naval Base: रूस को अफ्रीका में मिला पहला नौसेना बेस का ऑफर, अमेरिका और सऊदी अरब टेंशन में, यहां उतरेगा पुतिन का जहाज
Russia Naval Base in Africa: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति रूस को अफ्रीका में सैन्य बेस बनाने का ऑफर मिला है. यह बड़ी रणनीतिक सफलता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से ठीक पहले मिली है. मास्को को अफ्रीकी देश सूडान ने रूस को अफ्रीका में लाल सागर के पास सैन्य ठिकाने स्थापित करने की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा है. यह कदम ऐसे समय सामने आया है, जब सूडान लंबे समय से चल रहे गृहयुद्ध से जूझ रहा है. अफ्रीका और लाल सागर क्षेत्र में भू-रणनीतिक बदलाव तेजी से सामने आ रहे हैं. ऐसे समय में सूडान द्वारा रूस को अपना पहला नौसैनिक अड्डा देने का प्रस्ताव वैश्विक समुद्री संतुलन, व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा और महाशक्तियों की अफ्रीका में बढ़ती प्रतिस्पर्धा पर गहरा प्रभाव डाल सकता है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट ने इस संभावित सौदे को अंतरराष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में ला दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, सूडान की सरकार रूस को लाल सागर के किनारे एक पोर्ट और अफ्रीका में खनन क्षेत्रों के पास एक सैन्य बेस उपलब्ध कराने को तैयार है. रूस कई महीनों से ऐसे ही किसी रणनीतिक ठिकाने की तलाश में था. रिपोर्ट के अनुसार, अगर यह समझौता होता है तो यह रूस के लिए बड़ी रणनीतिक जीत होगी. यह अमेरिका के लिए चिंता का विषय भी है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि रूस या चीन किसी अफ्रीकी पोर्ट पर अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाकर समुद्री मार्गों पर प्रभाव हासिल करें या युद्धपोतों को दोबारा ईंधन और साजो-सामान उपलब्ध कराने की क्षमता विकसित करें. वैसे भी सूडान के नीचे हॉर्न ऑफ अफ्रीका कहे जाने वाले देश जिबूती में चीन और अमेरिका दोनों के नौसेना बेस हैं
सूडान का प्रस्ताव 25 साल के लिए मान्य
अक्टूबर में सूडान की सैन्य सरकार द्वारा रूस को दिए गए 25 साल के प्रस्ताव के तहत, मॉस्को को 300 सैनिक तैनात करने और चार युद्धपोतों को पोर्ट सूडान या लाल सागर के किसी अन्य निर्दिष्ट स्थान पर तैनात करने की अनुमति मिलेगी. इनमें परमाणु-संचालित जहाज भी शामिल हो सकते हैं. इसके साथ ही रूस को सूडान में खनन से जुड़े लाभदायक ठेकों तक विशेष पहुंच भी दी जाएगी. सूडान अफ्रीका में सोने का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. इसके बदले में रूस सूडानी सरकार को हथियार, खुफिया जानकारी और तकनीकी मदद देगा. गृहयुद्ध से तहस-नहस सूडान की सेना, रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के लड़ाकों से संघर्ष कर रही है, जो नागरिक इलाकों में लगातार हिंसा कर रहे हैं.
हथियारों के बदले पोर्ट देने का सौदा
पोर्ट सूडान से रूस स्वेज नहर से गुजरने वाले समुद्री यातायात की करीबी निगरानी कर सकेगा. 2250 किलोमीटर लंबा यह वही समुद्री मार्ग मार्ग है, जो यूरोप और एशिया के बीच शॉर्टकट का काम करता है. वैश्विक व्यापार के लगभग 12% का आवागमन इसी रास्ते से होता है. इस लंबे समझौते के बदले सूडान को रूस से उन्नत एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम और अन्य हथियार रियायती दरों पर मिलेंगे, जिनका इस्तेमाल वह रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के खिलाफ जारी गृहयुद्ध में कर सकेगा. एक सूडानी सैन्य अधिकारी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि उन्हें नए हथियारों की जरूरत है, लेकिन रूस के साथ ऐसा सौदा अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है.
रूस के लिए यह सौदा क्यों मायने रखता है?
सूडान की सरकार और सेना ने इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है. लेकिन अगर यह बनता है, तो रूस की नौसैनिक मौजूदगी के लिए बड़ी छलांग होगी. यह रूस का अफ्रीका में पहला प्रत्यक्ष स्थायी नौसैनिक अड्डा होगा. लाल सागर पर रूस की मौजूदगी भी भू-राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण होगी. अब तक रूस और ईरान लाल सागर क्षेत्र में यमन के हूती विद्रोहियों के जरिए प्रभाव रखते थे. यह वही क्षेत्र है जिसके पार सऊदी अरब स्थित है, जहां पहले से कई अमेरिकी सैन्य ठिकाने मौजूद हैं. इस क्षेत्र के नीचे जिबूती और यमन हैं, जबकि ऊपर में इजरायल और फिलिस्तीन. इससे मास्को को महाद्वीप में सीधी रणनीतिक पहुंच मिलेगी, जबकि अमेरिका लंबे समय से अफ्रीका में रूसी प्रभाव को रोकने की कोशिश करता रहा है. वहीं मॉस्को को रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण लाल सागर पर एक नई पकड़ मिल सकती है.

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