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अडाणी यूनिवर्सिटी ने की AISYWLC 2025 की मेजबानी, जो नवाचार के साथ नेतृत्व और सहयोग का संगम


Adani University AISYWLC 2025: अडाणी यूनिवर्सिटी ने ऑल इंडिया स्टूडेंट, यंग प्रोफेशनल्स, वूमेन इन इंजीनियरिंग एंड लाइफ मेंबर्स कांग्रेस (AISYWLC 2025) की मेजबानी की. इवेंट 31 अक्टूबर को शुरू हुआ था और 2 नवंबर तक चला, जिसमें निरमा विश्वविद्यालय और IEEE इंडिया काउंसिल ने सहयोग किया था. AISYWLC भारत में IEEE सदस्यों का सबसे बड़ा वार्षिक सम्मेलन है, जिसमें देशभर के 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें छात्र, शोधकर्ता, उद्योग जगत के दिग्गज, शिक्षाविद और उद्यमी शामिल हैं. इस 3 दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभाशाली युवा प्रतिभाओं और अनुभवी पेशेवरों को एक ही छत के नीचे लाकर नवाचार, नेतृत्व और सहयोग को बढ़ावा देना है.

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यूनिवर्सिटी के प्रोवोस्ट पुजारा ने दिया भाषण

सम्मेलन की मेजबानी करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अडाणी यूनिवर्सिटी के प्रोवोस्ट प्रो. धवल पुजारा ने कहा कि यह मंच विश्वविद्यालय के परिवर्तन के लिए शिक्षा के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाता है, जैसा कि अडाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी और अडाणी विश्वविद्यालय की अध्यक्ष डॉ. प्रीति जी. अडाणी ने मिलकर बनाया है, जहां शिक्षा, अनुसंधान और उद्योग मिलकर वास्तविक दुनिया पर असर डालते हैं. अडाणी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. अमीश व्यास ने कहा कि विश्वविद्यालय अगली पीढ़ी के इंजीनियरों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. बता दें कि 3 दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में अडाणी विश्वविद्यालय के प्रोवोस्ट प्रोफेसर धवल पुजारा ने विशेष स्पीच देकर उत्साह बढ़ाया.

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सम्मेलन में मौजूद रहीं यह सभी हस्तियां

कार्यक्रम में डॉ. नरोत्तम साहू सलाहकार गुजरात विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद गांधीनगर, दीपक माथुर उपाध्यक्ष IEEE सदस्य और भौगोलिक गतिविधियां (MGA), प्रो. प्रेरणा गौर अध्यक्ष, IEEE इंडिया काउंसिल, प्रो. अनूप के. सिंह महानिदेशक निरमा विश्वविद्यालय और प्रो. आर. के. अस्थाना अध्यक्ष IEEE आजीवन सदस्य समिति सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे. मुख्य अतिथि प्रो. धर्मेंद्र सिंह निदेशक आईआईआईटी वडोदरा ने प्रेरक भाषण दिया। उन्होंने प्राचीन भारतीय प्रथाओं पर भी जोर दिया और कहा कि आज की पीढ़ी को देश की पुरानी प्रथाओं को फिर से अपनाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी प्राचीन और स्थायी प्रथाओं में अग्रणी है और दुनिया ने इसे भारत से सीखा है.